एनसीडीसी का रीजनल सेंटर छह साल में भी नहीं बन सका

Update: 2023-02-06 06:51 GMT

राँची न्यूज़: संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार द्वारा कांके में बनाए जा रहे नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) का रीजनल सेंटर बीते छह सालों में भी नहीं बन पाया है. प्लानिंग कमीशन के एप्रुवल के बाद स्टैंडिंग फायनांस कमीशन ने वर्ष 2015 में रांची में एनसीडीसी, रीजनल ब्रांच खोलने की स्वीकृति दी थी.

नवंबर 2016 में इसको लेकर झारखंड सरकार के साथ एमओयू किया गया. जिसके बाद से कांके में सेंटर का निर्माण सीपीडब्ल्यूडी के द्वारा किया जा रहा है. लेकिन छह साल बाद भी भवन निर्माण का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है.

लगभग 13 करोड़ की लागत से जी प्लस 3 भवन का निर्माण किया जा रहा है. दो माह पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने निरीक्षण में पाया कि भवन में लैब के निर्माण में कुछ गड़बड़ी भी हो गई है. टीम ने नाराजगी जाहिर करते हुए उसे सुधारने का निर्देश भी दिया था. हालांकि, सीपीडब्ल्यूडी के कार्यपालक अभियंता ने कहा है कि दो माह में भवन का कार्य पूरा हो जाएगा. इस केंद्र का निर्माण पूरी तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कराया जा रहा है.

भवन बनने के बाद भी संचालित होने में लगेगा समय

एनसीडीसी, रीजनल सेंटर, पटना की मॉनिटरिंग में झारखंड में एनसीडीसी रीजनल सेंटर की स्थापना की जा रही है. इस केंद्र का निर्माण पूरी तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कराया जा रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार एनसीडीसी का भवन बनने के बाद भी उसे संचालित होने में समय लगेगा. सेंटर में राज्य सरकार को डायग्नोस्टिक सपोर्ट के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित स्टेट ऑफ आर्ट लेबोरेटरी की स्थापना की जानी है. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से सार्वजनिक स्वास्थ्य, माइक्रोबायोलॉजी, एंटोमोलॉजी और अन्य पैरामेडिक्स/टेक्नोक्रेट्स की तैनाती की जाएगी.

केंद्र से क्या होगा फायदा

इस केंद्र के माध्यम से जीका वायरस, इबोला, एंथ्रेक्स एवं कोरोना सरीखे राज्य में पनप चुके एवं पनप रहे संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण एवं इससे जुड़े अनुसंधान में सुविधा होगी. इस केंद्र में किसी भी रोग के प्रकोप की जांच की जा सकेगी. साथ ही व्यक्तियों, समुदायों, मेडिकल कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों एवं राज्य स्वास्थ्य निदेशालयों को परामर्श व नैदानिक

सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी. संचारी रोगों के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों के कुछ पहलुओं में एकीकृत अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा.

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