Ranchi: बांग्लास्तान’ देश बनाने की चल रही साजिश : बाबूलाल

Update: 2024-08-14 10:14 GMT
Ranchi रांची : बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड के बड़े हिस्से (संताल बहुल इलाके) को ‘बांग्लास्तान’ देश बनाने की साजिश चल रही है. बाबूलाल ने खुफिया एजेंसियों का हवाला देकर एक्स पर पोस्ट में लिखा कि झारखंड के बड़े हिस्से (संताल बहुल इलाके), बिहार का किशनगंज, पश्चिम बंगाल, अधिकांश उत्तर पूर्वी राज्य, नेपाल और म्यांमार के कुछ हिस्से को मिलाकर ‘बांग्लास्तान’ नामक देश बनाने की साजिश चल रही है. 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार की तख्तापलट के बाद कट्टरपंथी गज़वातुल-हिंद ( गैर मुसलमानों के खिलाफ युद्ध) और इस्लामिक बांग्लादेश के मकसद को
पूरा करने की जुगत में लगे हैं.
कांग्रेस और झामुमो कट्टरपंथियों के मकसद को पूरा करने में लगे हैं
बांग्लादेश में उत्पन्न हालात और कट्टरपंथियों का खतरनाक मंसूबा पूरे देश के साथ-साथ झारखंड के लिए भी अत्यंत संवेदनशील है. झारखंड में जिस प्रकार अचानक से बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी बढ़ी है, उससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस और झामुमो भी कट्टरपंथियों के मकसद को पूरा करने में लगे हैं. राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश और समाज का विभाजन करने वाली कांग्रेस-झामुमो जैसी पार्टियां सत्ता के लिए हमेशा विदेशी ताकतों के साथ ही खड़ी नजर आयी हैं. इसलिए इस कठिन घड़ी में आदिवासी समाज के साथ-साथ साढ़े तीन करोड़ झारखंडवासियों को भी चौकन्ना रहने की आवश्यकता है.
झारखंड में सवाल पूछना माना है…
बाबूलाल मरांडी ने अपने दूसरे पोस्ट में कहा कि झारखंड में सवाल पूछना मना है. सवाल कैसा भी हो, सवाल का उद्देश्य कैसा भी हो, हेमंत सोरेन के निर्देशानुसार- झारखंड में शासन और प्रशासन से सवाल पूछने की सख्त पाबंदी है, इसके बाद भी अगर आपने हिम्मत करके हिम्मतवाली सरकार से सवाल पूछने की जुर्रत भी की, तो तैयार हो जाइये पुलिस की लाठी खाने को, तैयार हो जाइये अपनी हड्डियां तुड़वाने को.
सरकार से सवाल पूछने पर पुलिस की लाठी जैसा हाल करती है, वैसा ही हाल अस्पताल में तैनात बाउंसरों ने किया
बाबूलाल ने आगे लिखा कि ऐसी ही घटना राजधानी रांची से सामने आयी है, जहां परिवार के लोगों की बस एक गलती थी कि उन्होंने इलाजरत अनुमाला देवी की मौत के कारणों के बारे में अस्पताल प्रशासन से पूछ लिया. फिर क्या जैसा हाल हेमंत सरकार से सवाल पूछने पर पुलिस की लाठी करती है, वैसा ही हाल अस्पताल प्रशासन में तैनात बाउंसरों ने परिवारवालों के साथ किया. इन सबके बाद एक सवाल सबके सामने खड़ा हो जाता है कि “हेमंत है, तो हिम्मत है”, लेकिन किसको, सिर्फ पुलिस और प्रशासन को
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