Ranchi: आठ लाख से अधिक बेटियां ले रहीं सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना से लाभ

Update: 2024-07-28 14:11 GMT
Ranchi रांची : राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ड्रीम प्रोजेक्ट (योजना) अपनी सफलता की ओर अग्रसर है. सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना समाज कल्याण विभाग की एक आदर्श योजना के रूप में देखी जा रही है. इस योजना से नौ लाख किशोरियों को जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है. फिलहाल लगभग आठ लाख छात्राओं को इसका लाभ मिल रहा है. सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के तहत कुल 5 बार में 40 हजार तक आर्थिक सहायता सरकार की ओर से दी जाती है. यह सहायता वर्ग आठ से प्रारम्भ होकर उनके 12वीं तक
पहुंचने तक मिलती रहती है.
हेमंत सरकार के महिला प्रोत्साहन और उनकी शिक्षा में बेहतरी के प्रयास के रूप में इस योजना को देखा जा रहा है. हेमंत सरकार की सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना से अब तक लगभग आठ लाख किशोरियों को जोड़ा जा चुका है. वर्ष 2022 – 23 में जहां इस योजना के तहत 7,28,332, वर्ष 2023-24 में 7,15,061, वहीं वर्ष 2023-24 में 2,07,296 अब तक आवेदन स्वीकृत किये जा चुके हैं. सरकार का इस वित्तीय वर्ष में नौ लाख छात्राओं को इससे जोड़ने का लक्ष्य है. इस योजना के तहत सरकारी स्कूल में वर्ग 8 से 12वीं तक की प्रत्येक स्कूली छात्रा को कक्षा आठ में 2,500 हजार, नौवीं में 2,500, 10वीं में 5,000, ग्यारहवीं में 5,000 और बारहवीं में 5,000 रुपये की सहायता उनके बैंक खाते में दी जाती है. जब किशोरी की उम्र 18 की हो जाये और उसका मतदाता पहचान पत्र बन जाये तो उसे एकमुश्त 20,000 रुपये दिये जाते हैं, ताकि वो उस पैसे से आगे की पढ़ाई या कोई प्रशिक्षण लेकर स्वाबलंबी बन सकें.
इस योजना से स्कूलों में ड्रॉप आउट के मामले काफी कम हुए
हेमंत सरकार ने देखा आठवीं वर्ग से किशोरियों को पढ़ाई करने के लिए कई छोटी-छोटी ज़रूरतें होती हैं, उन जरूरत को पूरा करने के उद्देश्य से यह योजना लायी गई है. अपने खाते में आए इस सरकारी सहायता का लाभ छात्राएं खूब उठा रही हैं. पढ़ाई की छोटी-मोटी जरूरत खाते में आये पैसे से पूरी हो जाती है. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यह सहायता सरकार द्वारा स्कूलों को दिए जा रहे सहायता के अतिरिक्त है. सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि दूर दराज के गांव की किशोरियां अब विद्यालय नियमित रूप से आ रही हैं. इस योजना के कारण ड्रॉप आउट के मामले काफी कम हुए हैं.
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