Ranchi रांची : यूं ही झारखंड को राजनीति की प्रयोगशाला नहीं कहा जाता. राज्य गठन के बाद से अब तक रिकॉर्ड 12 बाद सदन में फ्लोर टेस्ट हो चुका है. आठ जुलाई को 13 वीं बार सीएम हेमंत सोरेन फ्लोर टेस्ट का सामना करेंगे. हालांकि हेमंत सोरेन का फ्लोर टेस्ट पास करने का स्ट्राइक रेट शत-प्रतिशत है. हेमंत सोरेन ने दो बाद डिप्टी सीएम रहते और एक दफा सीएम के रूप में फ्लोर टेस्ट पास कर चुके हैं. आठ जुलाई को चौथी बार हेमंत सोरेन फ्लोर टेस्ट का सामना करेंगे. वहीं इस साल दो बार फ्लोर टेस्ट की परिस्थिति बनी है. पांच फरवरी को हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपाई सरकार ने फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत हासिल किया था. बताते चलें कि सदन में अबतक 12 बार तत्कालीन सरकारों द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव में नौ बार सरकारों ने अपना बहुमत साबित किया. दो बार प्रस्ताव आने के बाद वोटिंग से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया था. एक बार वोटिंग की अनुमति ही नहीं दी गई थी. वहीं सदन में अबतक दो ही बार अविश्वास प्रस्ताव आया है.
सबसे पहले 23 नवंबर 2000 को बाबूलाल मरांडी ने विश्वास प्रस्ताव लाकर बहुमत साबित किया था. उसके बाद 11 मार्च 2005 को शिबू सोरेन ने विश्वास प्रस्ताव लाया था. लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने प्रस्ताव पेश करने की अनुमति नहीं दी. 15 मार्च 2005 को अर्जुन मुंडा ने विश्वास मत हासिल किया था. 14 सितंबर 2006 को अर्जुन मुंडा ने बहुमत नहीं होने के कारण सदन में इस्तीफा घोषणा की. 20 सितंबर 2006 को मधु कोड़ा बहुमत साबित किया. 29 अगस्त 2008 को स्टीफन मरांडी (तात्कालीन संसदीय कार्य मंत्री) का प्रस्ताव बहुमत से स्वीकृत हो गया. 07 जनवरी 2010 को रघुवर दास का (संसदीय कार्य मंत्री) प्रस्ताव बहुमत से स्वीकृत हो गया. 30 मई 2010 को सुदेश महतो (उप मुख्यमंत्री) का प्रस्ताव बहुमत नहीं होने के कारण शिबू सोरेन का इस्तीफा हुआ. 14 सितंबर 2010 को हेमंत सोरेन (उप मुख्यमंत्री) का प्रस्ताव बहुमत से स्वीकृत हुआ. 18 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन का (उप मुख्यमंत्री) प्रस्ताव बहुमत से स्वीकृत हुआ. 05 सितंबर 2022 को हेमंत सोरेन (मुख्यमंत्री) ने बहुमत साबित किया. 05 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन (मुख्यमंत्री) ने बहुमत साबित किया.
सदन में अब तक दो बार आ चुका है अविश्वास प्रस्ताव
विधानसभा में अब तक दो बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है. सबसे पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्टीफन मरांडी तथा विधायक फुरकान अंसारी ने 17 मार्च को 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को दी थी. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही बाबूलाल मरांडी ने उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. दूसरी बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में अर्जुन मुंडा, विधायक सीपी सिंह और राधाकृष्ण किशोर 18 दिसंबर 2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाये थे, जो अस्वीकृत हो गया था. इसमें मधु कोड़ा सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया था.
फ्लोर टेस्ट के बाद मंत्रिमंडल का गठन
आठ जुलाई को मुख्यमंत्री विधानसभा में विश्वासमत हासिल करने सदन में आएंगे. इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र सुबह 11 बजे बुलाया गया है. विश्वासमत का काम ठीक से निपट गया तो उसी दिन हेमंत मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर सकते हैं. इसके लिए रविवार की शाम या सोमवार की सुबह राजभवन से हेमंत समय मांग सकते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रिमंडल में किसे जगह दी जाती है. वैसे पूरी उम्मीद है कि पुराने मंत्रिमंडल को ही बहाल कर लिया जाएगा. जो दो पद खाली हैं, उन पर किसे बिठाया जाए, सारी माथापच्ची इसी पर होनी है.