गरीबी लील गई रोजगार के सुनहरे पल, पैसे होते तो टीचर होता
गरीबी संत कोलंबा कॉलेज के एक दिव्यांग छात्र धनेश्वर प्रजापति के रोजगार के सुनहरे पल लील गई.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गरीबी संत कोलंबा कॉलेज के एक दिव्यांग छात्र धनेश्वर प्रजापति के रोजगार के सुनहरे पल लील गई. 4 साल वह बेरोजगार रहा. काबिल तो था, पर पैसे नहीं थे. फीस के अभाव में चार साल बाद यह दिव्यांग छात्र अपना बीएड पास का सर्टिफिकेट गुरुवार को ले पाया. आर्थिक रूप से वह इतना कमजोर है कि आज जब उसे बीएड का सर्टिफिकेट मिल रहा था, तो केरेडारी के गर्रीकला स्थित अपने गांव पतराखुर्द से हजारीबाग तक आने के लिए उसके पास पैसे भी नहीं थे. वहां से आने के लिए बस भाड़ा की व्यवस्था भी उसी शख्स तापस चक्रवर्ती ने की, जिन्होंने सर्टिफिकेट दिलाने में 25,000 रुपए फीस का सहयोग दिलाया. इस चार साल में धनेश्वर ने बीएड का सर्टिफिकेट नहीं रहने के कारण नौकरी के कई अवसर गंवा दिए. राज्य और केंद्र स्तर पर शिक्षक बहाली निकली. बीएड योग्यता की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण रहने के बावजूद सिर्फ सर्टिफिकेट के अभाव में उसके रोजगार के कीमती पल यूं ही गुजर गए. वह शिक्षक बहाली का परीक्षा फॉर्म ही नहीं भर सका, चूंकि उसमें सर्टिफिकेट की कॉपी लगाना अनिवार्य था.