अधिकारी और ठेकदार डकार गए एक करोड़ 13 लाख की बिरयानी, चिकन, मटन और हॉर्लिक्स, स्कूल में दाल भात खाते रहे बच्चे

स्कूल में दाल भात खाते रहे बच्चे

Update: 2022-05-10 15:43 GMT
खूंटीः झारखंड के खूंटी जिला में जिला कल्याण विभाग की ओर से संचालित जनजातीय आवासीय विद्यालय में वित्तीय अनियमितताएं सामने आई है. जिसमें इन स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली भोजन की राशि का अधिकारी और ठेकेदार ने आपसी मिलीभगत से गबन कर लिया है. 1.13 करोड़ की बिरयानी, चिकन, मटन और हॉर्लिक्स अधिकारी और ठेकदार खा गए. यह मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. ये पूरा मामला 2020-22 का है, जब कोरोना को लेकर लॉकडाउन था और स्कूल बंद थे.
खूंटी जिला में सूचना के अधिकार के तहत इसको लेकर जानकारी मांगी गयी थी. इसके जवाब में जिला कल्याण विभाग ने आपूर्तिकर्ता को वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 30 लाख 83 हजार रुपये के भुगतान की बात कही. जिसके विवरण में बताया गया है कि वर्ष 2020 में मार्च के बाद समय-समय पर आंशिक रूप से विद्यालय खुले थे, इसके एवज में ही ये राशि दी गयी है. जबकि वर्ष 2020 में मार्च के बाद सभी विद्यालय पूर्ण रूप से बंद रखने का सरकारी आदेश था. इसी प्रकार से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी मार्च 2022 तक में कुल 81 लाख 87 हजार रुपये का भुगतान दिखाया गया है. इस पूरे समय अंतराल में कुल 1 करोड़ 13 लाख की राशि का घपला इसमें नजर आ रहा है.
इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने डीसी से फोन पर बात की. जिस पर जिला उपायुक्त शशि रंजन ने आश्वासन देते हुए कहा कि इस मामले में एसडीओ सैय्यद रियाज अहमद को जांच का निर्देश दिया गया है. जांच के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.
खूंटी में कल्याण विभाग द्वारा कुल पांच अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय का संचालन किया जाता है. जहां पढ़ने वाले सभी बच्चों का पूरा खर्च कल्याण विभाग द्वारा निर्वहन किया जाता है. लेकिन आवासीय विद्यालय में नामांकित विद्यार्थियों के नाम पर कल्याण विभाग ने सिर्फ घपला किया है. यहां बच्चों को खाने में दाल भात, आलू और सोयाबीन मिलता. यही नहीं बच्चियों को हॉर्लिक्स भी देना था लेकिन वो भी नहीं हुआ. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान इन राशियों का भुगतान कराकर बंदरबांट कर लिया गया है. 2020-22 में कुल 1 करोड़ 13 लाख की राशि की वित्तीय अनियमितता सामने आ रही है. अब तो जांच का आदेश हुआ है, देखना होगा कि आखिर किसने बच्चों के निवाले पर डाका डाला है.
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