नक्सलियों को पारसनाथ से बाहर करना है उद्देश्य

Update: 2022-09-23 16:45 GMT
गिरिडीह के पीरटांड़ में लाल आतंक के खिलाफ चलाये जा रहे पुलिसिया अभियान के क्रम में हाल के कुछ वर्षों में गिरिडीह पुलिस को कई बड़ी सफलता हासिल हुई है. पारसनाथ के बीहड़ जंगलों में अपना डेरा जमा कर अलग-अलग राज्यों में अपना आतंक कायम करने वाले भाकपा माओवादियों के दस्ते के कई बड़े सदस्यों को गिरिडीह पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. इसके अलावा कुछ नक्सलियों ने सरकार की आत्मसमपर्ण नीति से प्रभावित होकर पुलिस-प्रशासन के समक्ष आत्मसमपर्ण भी किया है. जिससे गिरिडीह जिले में नक्सलियों को काफी तगड़ा झटका लगा है.
हालांकि यह नहीं कहा जा सकता है कि पारसनाथ के इलाके से नक्सलियों का सफाया हो गया है. क्योंकि अभी भी कई हार्डकोर और इनामी नक्सली पारसनाथ में है. जिसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की टीम अलग-अलग रणनीति के साथ हर दिन कार्य कर रही है. पारसनाथ पहाड़ में छिप कर अलग-अलग घटनाओं को अंजाम देने वाले नक्सलियों के खात्मे को लेकर चारों ओर से पारसनाथ पर्वत की घेराबंदी की जा रही है. वर्तमान समय में पारसनाथ पर्वत की तराई इलाका व नक्सलियों के गढ़ मोहनपुर गांव को नक्सली अपना सेफ जोन बना चुके थे. इसी को लेकर सरकार के निर्देश पर माेहनपुर गांव में कैंप के निर्माण कार्य को काफी तेजी से किया जा रहा है. पारसनाथ से नक्सलियों को समूल उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से भारी संख्या में सीआरपीएफ जवानों की तैनाती की गयी है. मोहनपुर गांव में चप्पे-चप्पे पर पुलिस ने मोर्चा संभाल रखा है.
नक्सलियों का सेफ जोन पारसनाथ पहाड़ की घेराबंदी तेजी से शुरू हो गयी है. लगातार सरकार और प्रशासन नक्सल अभियान चलाकर पारसनाथ पहाड़ को नक्सल मुक्त बनाने में जुटी हुई है. लगातार एक के बाद एक कैंप का निर्माण कर नक्सलियों के मंसूबे पर पानी फेरने और नक्सलियों को पारसनाथ के इलाके से उखाड़ फेंकने की तैयारी में जुटी हुई है. मधुबन थाना अंतर्गत मोहनपुर में भी इसी उद्देश्य के साथ सीआरपीएफ सातवीं बटालियन के कैंप का निर्माण जोर-शोर से किया जा रहा है. इस इलाके में कैंप का निर्माण पूर्ण होते ही नक्सली चारों ओर से घिर जायेंगे.
नक्सलियों को घेरने की है तैयारी
पारनसाथ पर्वत की तराई वाले इलाके को अब धीरे-धीरे चारों ओर से घेर लिया जा रहा है. पूर्व में जहां नक्सलियों की घेराबंदी करने के लिए खुखऱा, पर्वतपुर, खोलोचुंआ, हरलाडीह, मधुबन के इलाके में कैंप का निर्माण किया जा चुका है. वहीं अब नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना माने जाने वाले मोहनपुर इलाके में कैंप का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा निमियाघाट थाना क्षेत्र के बेलाटांड़ में भी कैंप का निर्माण काफी तेजी से किया जा रहा है. इन इलाकों में कैंप का निर्माण होने के बाद नक्सलियों को चारों ओर से घेरने की पुलिस की योजना सफल हो जायेगी. मोहनपुर में कैंप बनने के बाद नक्सलियों के मूवमेंट वाले इलाके जोभी, डेगापहरी, दलानचलकरी, मोहनपुर, टेसाफुली, धावाटांड़, उत्तराखंड का पूरा इलाका पुलिस की घेराबंदी में रहेगा. हालांकि नक्सलियों को पूरी तरह से पारसनाथ पहाड़ी से दूर भेजना कोई आसान काम नहीं है. क्योंकि समय-समय पर नक्सली किसी न किसी तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए बीहड़ जंगलों का फायदा उठा कर पुलिस की नजरों से बचते रहते हैं.
सुरक्षा के मद्देनजर जवानों की तैनाती :
कैंप निर्माण को लेकर मोहनपुर के अलावे आस-पास के पूरे इलाके में जवानों की तैनाती सुरक्षा के मद्देनजर कर दी गयी है. इन बीहड़ जंगलों में धूप और बारिश के बीच सभी जवान पुरी मुस्तैदी के साथ कैंप निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहे है. वहीं सीआरपीएफ सातवीं बटालियन के कमांडेंट भारत भूषण जखमोला, गिरिडीह एसपी अमित रेणु, एएसपी अभियान गुलशन तिर्की, सीआरपीएफ असिसटेंट कमांडेट प्रदीप साहु, डुमरी एसडीपीओ मनोज कुमार, पुलिस निरीक्षक आदिकांत महतो, मधुबन थाना प्रभारी मृत्युंजय सिंह, पीरटांड़ थाना प्रभारी डीलसन बिरुआ, अजीत महतो, अनीश पांडेय आदि कैंप निर्माण में लगे हुए है.
नेटवर्क की समस्या को भी दूर करने का हो रहा है प्रयास
इधर, मोहनपुर के इलाके में नेटवर्क की समस्या को दूर करने का भी प्रयास किया जा रहा है. पुलिस पदाधिकारियों ने बताया कि बहुत जल्द इलाके में नेटवर्क बेहतर किया जायेगा. इसके लिए कुछ कंपनियों से बातचीत भी की जा रही है. इसके अलावा इलाके में सड़क निर्माण का कार्य भी काफी तेजी से किया जा रहा है.
कैंप के निर्माण से ग्रामीणों को मिलेगा लाभ : एएसपी अभियान
एएसपी अभियान गुलशन तिर्की ने बताया कि मोहनपुर में कैंप के निर्माण होने से न सिर्फ ग्रामीणों को लाभ मिलेगा बल्कि उन्हें रोजगार भी उपलब्ध कराये जायेंगे. इसके अलावा कैंप के निर्माण होने से इलाके का विकास भी होगा. पुलिस-प्रशासन ग्रामीणों के साथ हमेशा खड़ा है. ग्रामीणों को किसी तरह की कोई समस्या हो तो वे बेहिचक पुलिस-प्रशासन के पास आयें और अपनी बातों को रखें. उनकी बातों को सुना जायेगा और समस्या का समाधान भी कराया जायेगा.
कई इनामी नक्सलियों का सेफ जोन रह चुका है पारसनाथ पर्वत
गौरतलब रहे कि पारसनाथ पर्वत एक ऐसा पर्वत है जिसकी भौगोलिक बनावट काफी अलग है. बीहड़ जंगलों से घिरा यह इलाका आज से नहीं बल्कि वर्षों से नक्सलियों का सेफ जोन रहा है. यहां न सिर्फ गिरिडीह के बड़े-बड़े नक्सलियों का जमावड़ा लगता है बल्कि अन्य कई राज्यों के भी बड़े-बड़े नक्सली भी यहां आते रहते हैं. हाल के दिनों में नक्सलियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष भी पारसनाथ में ही अपना डेरा जमाये हुए थे. हालांकि जैसे ही वे इस इलाके से बाहर निकलें तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
इसके अलावा एक करोड़ के इनामी नक्सली मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सुनिर्मल जी उर्फ सागर, अनल दा उर्फ तूफान उर्फ पतिराम मांझी उर्फ पतिराम मरांडी उर्फ रमेश के अलावा 25 लाख के इनामी नक्सली अजय महतो उर्फ टाइगर, चमन उर्फ लंबू उर्फ करमचंद हांसदा, रघुनाथ हेंब्रम उर्फ निर्भय उर्फ चंचल उर्फ बीरसेन के अलावा कई इनामी नक्सलियों के लिए पारसनाथ पर्वत सुरक्षित ठिकाना रह चुका है. पुलिस-प्रशासन और सीआरपीएफ द्वारा पारसनाथ की तराई वाले इलाके में एक के बाद कई कैंप का निर्माण किया जा चुका है. जिससे धीरे-धीरे नक्सली बैकफुट में जाने को विवश हो रहे हैं.
न्यूज़ क्रेडिट: prabhatkhabar
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