अभी तीन अगस्त तक राज्य में सक्रिय रहेगा मानसून, 31 जुलाई को इन इलाकों में बारिश की
31 जुलाई को इन इलाकों में बारिश की
झारखंड में मानसून एक बार फिर सक्रिय है। राज्य के कई हिस्सों में पिछले दो दिनों में बारिश हुई है। मानसून के दोबारा सक्रिय होने से किसानों की उम्मीदें बढ़ी हे लेकिन राज्य में इस बार 1 जून से 30 जुलाई तक 46 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग संभावना जाहिर कर रहा है कि राज्य में तीन अगस्त तक अभी बारिश होगी। बारिश की संभावना के मद्दे नजर येलो अलर्ट भी जारी किया गया है।
कितनी हुई बारिश
मौसम विभाग के अनुमान के बाद भी राज्य के कई हिस्सों में अभी बारिश नहीं हो रही। रांची में भी 29 जुलाई की रात बारिश हुई इसके बाद से तेज बारिश नहीं हुई है हालांकि मध्यम दर्जे की बारिश रुक- रुक कर हो रही है। आसमान में बादल छाए हैं । झारखंड में पिछले 24 घंटे के दौरान हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हुई। इस दौरान एक दो स्थानों पर बहुत भारी वर्षा भी हुई। सबसे अधिक 125.5 मिलीमीटर बारिश लातेहार में हुई है। रांची में 26.1 और रामगढ़ में 25.6 मिलीमीटर बारिश हुई।
चतरा और लोहरदगा में सबसे कम बारिश
झारखंड में बदले मौसम के मिजाज से उम्मीद की जा रही है कि इस बार बारिश की कमी पूरी हो जायेगी। 29 जुलाई को मौसम विभाग ने जानकारी दी थी कि राज्य में 49 प्रतिशत कम बारिश हुई है जबकि 30 जुलाई को जारी आंकड़े में तीन प्रतिशत की कमी आयी और कम बारिश का अनुपात 46 प्रतिशत रहा। इस बार उम्मीद की जा रही है कि राज्य में कम बारिश के आंकड़े में कमी और दर्ज की जायेगी। मौसम का सबसे ज्यादा असर चतरा और लोहरदगा जैसे जिले में है यहां राज्य के 12 से अधिक जिलों में सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश हुई है।
31 जुलाई को किन इलाकों में होगी बारिश
मौसम विभाग ने 31 जुलाई को गढ़वा सहित राज्य के कई हिस्सों में बारिश की संभावना जाहिर की है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि 1 से 3 अगस्त तक राज्यभर के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश हो सकती है। बारिश कम होने से पूरे राज्य में सूखे के हालात हैं। राज्य सरकार ने 15 अगस्त तक की तारीख तय की है इसके बाद राज्य में सूखे के असर का आंकलन करेगी।
झारखंड पर भी रहेगा असर
देश के मध्य पश्चिमी भाग से लेकर बंगाल की खाड़ी ताक गुजरने वाला मानसून टर्फ का असर झारखंड पर भी नजर आ रहा है। खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र की दिशा विपरीत हो गई है. यह बंगाल के गांगेय क्षेत्र और उत्तर ओडिशा के ऊपर केंद्रित है, लेकिन यह सिस्टम यहां से गुजरने वाले मानसून टर्फ और ऊपरी वातावरण में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण खाड़ी की ओर बढ़ रहा है.