कम बारिश ने झारखंड के बढ़ाई सरकार की चिंता, 24 जिलों में भीषण सुखाड़ के हालात, वैकल्पिक खेती पर काम शुरू
झारखंड में कम बारिश से हालात चिंताजनक हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 24 जिलों के 180 प्रखंडों में सुखाड़ तय है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में कम बारिश से हालात चिंताजनक हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 24 जिलों के 180 प्रखंडों में सुखाड़ तय है। बता दें कि पूरे राज्य में 264 प्रखंड हैं। इस हिसाब से आधे से ज्यादा प्रखंडों में भीषण सूखे के हालात हैं। राज्य में पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस साल सबसे कम रोपनी हो सकी है। नॉर्मलाइज्ड डिफ्रेंस वेजीटेशन इंडेक्स (एनडीवीआई) के इन आंकड़ों को मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई बैठक में कृषि सचिव अबुबकर सद्दीकी ने रखा।
इस दौरान सुखाड़ की स्थिति, वर्षापात, खरीफ और वैकल्पिक फसल पर मंथन हुआ। जमीनी हकीकत देख सुखाड़ के लिए तय मानकों पर आगे बढ़ने पर सहमति बनी। बैठक में सभी उपायुक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। बैठक में मुख्य सचिव को अवगत कराया गया कि राज्य में अबतक मात्र 30 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो सकी है। इधर, कृषि विभाग ने वैकल्पिक खेती की संभावना पर काम करना शुरू कर दिया है।
कम पानी में तैयार होने वाले फसलों के बीज बहुत जल्द किसानों को दिए जाएंगे। मुख्य सचिव ने किसानों को फसल बीमा राहत योजना से जोड़ने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिये हैं। इसके बाद मुख्य सचिव ने दूसरी बैठक आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. अमिताभ कौशल और कृषि सचिव के साथ की। इस दौरान आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक के लिए प्रस्ताव तैयार करने पर सहमति बनी। अमिताभ कौशल ने बैठक के लिए संचिका मुख्य सचिव को भेज दी है।
यहां हालत ज्यादा खराब
जामताड़ा, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ में हालत ज्यादा खराब है। इन जिलों में 60 से 90 फीसदी तक कम बारिश हुई।
सूखाग्रस्त घोषित करने के हैं दो रास्ते
सुखाड़ की हकीकत सरकार के सामने आ गई है। अब किसानों को राहत की दिशा में जल्द फैसला लेने के लिये सरकार दो तरह से आगे बढ़ रही है। पहला यह कि 22 अगस्त को होने जा रही कैबिनेट की बैठक में सुखाड़ के प्रस्ताव को मुहर लगा कर इसे केंद्र से राहत पैकेज के लिये भेजा जाए। दूसरी ओर आपदा प्रबंधन प्राधिकार की जल्द बैठक के लिये भी प्रस्ताव सीएमओ भेज दिया गया है। इस बैठक में केंद्र के तय मानकों के आधार पर प्रभावित प्रखंडों को सुखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है। राज्य सरकार अपने आपदा प्रबंधन कोष से किसानों को राहत दे सकती है। पूरी तस्वीर जल्द साफ हो जाएगी।
कई प्रक्रिया बाकी : निशा
कृषि निदेशक निशा उरांव ने बताया कि सुखाड़ घोषित होने को कई प्रक्रिया बाकी है। मापदंड को पूरा करने के बाद प्रभावित प्रखंडों की सूची आपदा प्रबंधन को भेजी जाएगी। चिन्हित प्रखंड के सर्वे के लिये केंद्रीय टीम का दौरा भी अभी बाकी है।