झारखंड में आदिवासी महोत्सव का आयोजन हुआ तो एक मंच पर झारखंड समेत देश के तमाम राज्यों में बसे आदिवासियों की संस्कृति देखने को मिली. आदिवासी समाज की परंपराएं, उनकी समृद्ध जीवनशैली, उनका पहनावा और उनके रीति रिवाज समेत वो हर पहलू जो कमतर ही देखने को मिलती है. वो आदिवासी महोत्सव में देखने को मिला. जहां मंच पर प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन पहुंचे और आदिवासियों के उत्थान पर चर्चा हुई. लोकसंगीत आकर्षण का केंद्र बना.
संस्कृति और परंपरा की झलकियां
प्रकृति की भूमि झारखंड में जब आदिवासी महोत्सव का आयोजन हुआ तो एक मंच पर कई राज्यों के आदिवासी परंपराओं का संगम देखने को मिला.झारखंड की रांची में स्थित बिरसा मुंडा स्मृति पार्क आदिवासी परंपराओं की झलकियों से गुलजार हो उठा. झारखंड सरकार की ओर से आयोजित आदिवासी महोत्सव में इस बार आदिवासी कला-संगीत, सांस्कृतिक और सहित्यिक विरासत का अद्भुत समागम दिखा. जहां ना सिर्फ झारखंड बल्कि कई राज्यों के कलाकारों ने प्रस्तुती दी.
आदिवासी कलाकारों ने बांधा समा
आदिवासी कलाकारों ने जब मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन किया तो समा बांध दिया. इस महोत्सव नें फैशन शो का आयोजन हुआ तो साहित्यकारों ने भी दर्शकों का मन मोह लिया. आयोजन का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र बना लोकगीत. आयोजन के समापन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी पहुंचे. सीएम के साथ उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद रहीं. वहीं, मंच से सीएम ने एक बार फिर आदिवासी गौरव को याद करते हुए उनके पहचान की बात की. इस दौरान सीएम ने कहा कि आदिवासियों को खत्म करने की साजिश की गई. सीएम ने मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया. साथ ही आदिवासियों के विकास को लेकर भी चर्चा की.
साहित्यकारों ने जीता लोगों का दिल
सीएम के संबोधन के बाद भी महोत्सव में कई कलाकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुती दी. जहां मंच पर समृद्ध आदिवासी जीवनशैली की खूबसूरत झलकियां देखने को मिली. झारखंड सरकार की ओर से हर साल आदिवासी महोत्सव का आयोजन होता है. इस दिन को आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी परंपरा और संस्कृति की रक्षा करने के साथ ही उनकी उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिए इस दिन को समर्पित किया गया है. झारखंड में हर साल इसी गर्मजोशी से आदिवासी महोत्सव मनाया जाता है.