झारखंड : रिकॉर्ड मिलान से हुआ खुलासा, पलामू के 31 स्कूलों को बना दिया उर्दू विद्यालय

जामताड़ा के जिला शिक्षा अधीक्षक ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक से जिले व प्रखंड के अधिकारियों के निलंबन से लेकर उनपर कार्रवाई की अनुशंसा की है।

Update: 2022-07-17 04:07 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जामताड़ा के जिला शिक्षा अधीक्षक ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक से जिले व प्रखंड के अधिकारियों के निलंबन से लेकर उनपर कार्रवाई की अनुशंसा की है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा मांगी गई उर्दू विद्यालय से संबंधित जांच रिपोर्ट और स्पष्टीकरण संबंधित मामले पर उन्होंने अनुशंसा की है। उन्होंने कहा कि जामताड़ा के बीईईओ सह बीआरपी करमाटांड़ के समन्वयक वंशीधर राम, नारायणपुर बीईईओ कैलाशपति पातर और जामताड़ा के क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी दीपक राम को अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने के कारण निलंबन की अनुशंसा की गई है।

वहीं, जामताड़ा के अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से स्पष्टीकरण पूछा गया है कि उनकी ओर से कोई शिकायत पत्र नहीं मिला है। उन्होंने अपने दायित्वों का पालन सही से नहीं निभाया, जबकि एक प्रभारी प्राचार्य मोहन दास को निलंबित कर विभागीय कार्यवाही के अधीन रखा गया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी जामताड़ा के द्वारा दो, बीईईओ करमाटांड़ की ओर से 20 और बीईईओ नारायणपुर की ओर से 23 विद्यालयों की सूची दी गई है, जहां सामान्य विद्यालय को उर्दू विद्यालय किया गया है।
इसके अलावा रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी हो रही है। हर महीने अधिकारियों की बैठक होती है, लेकिन इसकी लिखित सूचना अब तक नहीं मिली है। कई अधिकारी पिछले दो वर्षों से अधिक समय से हैं और वे नियमित क्षेत्र भ्रमण करते हैं, लेकिन उन्होंने ही कोई रिपोर्ट नहीं दी। जिला व प्रखंड के इन अधिकारियों की ओर से मिली रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है कि दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
उन्होंने कहा कि स्वघोषित उर्दू विद्यालयों में अधिकांश विद्यालय सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) की ओर से संचालित होते हैं। जिसके सचिव प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और अध्यक्ष प्रखंड विकास पदाधिकारी होते हैं। जामताड़ा के डीएसई ने सामान्य से स्वघोषित उर्दू स्कूलों की प्रबंध समिति को भंग कर दिया है और इसके पुनर्गठन का निर्देश दिया है। सभी बीईईओ को दोषी सहायक अध्यापकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।
पलामू के 31 स्कूलों को बना दिया उर्दू विद्यालय
पलामू में सिर्फ 20 उर्दू स्कूल अधिसूचित हैं, लेकिन जांच में यह बात सामने आई है कि 31 सामान्य स्कूलों का भी उर्दू विद्यालय के रूप में संचालन हो रहा है। यू-डायस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) रिपोर्ट में भी इनका डेटा उर्दू स्कूल के रूप में अपलोड है। यह खुलासा शनिवार को तब हुआ जब रिकॉर्ड मिलान के लिए डीईओ ने बैठक बुलाई। बैठक में सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी और निकासी एवं व्ययन पधिकारी शामिल थे।
डीईओ ने बताया कि 1990 से अब तक के रिकॉर्ड से मिलान करने पर पाया गया कि पलामू में 20 उर्दू स्कूल संचालित हैं। लेकिन, यू-डायस रिपोर्ट के अनुसार 51 स्कूलों का संचालन दिखाया गया है। उन्होंने प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों व निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे रिकॉर्ड मिलानकर उर्दू स्कूलों को चिह्नित करें। यदि कोई उर्दू स्कूल का दावा करता है तो साक्ष्य लें। इसकी रिपोर्ट 19 जुलाई तक उपलब्ध कराएं। डीईओ ने कहा कि पूर्व की भांति उर्दू स्कूलों में साप्ताहिक छुट्टी होगी जबकि अन्य का संचालन सामान्य तरीके से होगा।
हजारीबाग के डोकाबेड़ा स्कूल में हाथ बांधकर होती है प्रार्थना
हजारीबाग जिले के डाड़ी प्रखंड स्थित नव प्राथमिक विद्यालय डोकाबेड़ा में बच्चे हाथ जोड़कर प्रार्थना नहीं करते। गढ़वा और जामताड़ा के कुछ स्कूलों की तरह यहां भी हाथ बांधकर प्रार्थना करने की बात सामने आई है। डोकाबेड़ा विद्यालय की प्राचार्या चंद्रिका देवी ने शनिवार को बताया कि गांव में लगभग 90 प्रतिशत अबादी मुस्लिम है। विद्यालय में अधिकतर मुस्लिम बच्चे ही हैं। इसलिए वे सभी हाथ बांधकर प्रार्थना करते हैं।
हालांकि, साप्ताहिक अवकाश रविवार को ही रहता है। शिक्षक मो शमीम ने बताया कि वे 20018 से स्कूल में आ रहे हैं। तब से देख रहे हैं कि बच्चे हाथ बांधकर ही प्रार्थना करते हैं। शमीम ने बताया तू ही राम है, तू ही रहीम है... प्रार्थना के तुरंत बाद राष्ट्रगान होता है। फिर भारत माता की जय का उद्धघोष किया जाता है।
इसके बाद सभी बच्चे संविधान की शपथ लेते हैं। साथ ही बच्चों की छुट्टी के पहले राष्ट्रगीत वंदे मातरम गवाया जाता है। इस स्कूल में कुल 75 बच्चे नामांकित हैं। इस संबंध में बीडीओ संतोष गुप्ता ने इस संबंध में कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इसकी जांच कराई जाएगी। वैसे किसी भी सरकारी आदेश की अवहेलना करने की किसी को इजाजत नहीं है।

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