झारखंड न्यूज: 500 से अधिक IED भी नष्ट, नक्सलियों के सबसे बड़े गढ़ छकरबंधा को सुरक्षाबलों ने किया ध्वस्त

झारखंड न्यूज

Update: 2022-07-14 09:29 GMT
पलामू: झारखंड-बिहार की सीमा पर माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाने छकरबंधा को सुरक्षाबलों ने ध्वस्त कर दिया है. जिसके बाद टॉप माओवादी छकरबंधा छोड़ कर भाग गया है. जानकारी के अनुसार पिछले चार से पांच दिनों में सुरक्षाबलों ने छकरबंधा के इलाके में 500 से अधिक लैंडमाइंस को रिकवर कर नष्ट किया है, जबकि चार बंकर पकड़े गए हैं. पकड़े गए बंकरों में 1500 क्विंटल से अधिक अनाज, नक्सल सामग्री को नष्ट किया गया है, जबकि भारी मात्रा में नक्सल दस्तावेज जब्त किए गए हैं.
टॉप माओवादी कमांडर ने उगले थे राज: दरअसल, कुछ दिनों पहले छकरबंधा के एक टॉप माओवादी कमांडर ने जर्मन रायफल का आत्मसमर्पण किया था. उसी ने सुरक्षाबलों के समक्ष छकरबंधा के राज उगले, जिसके बाद पूरे छकरबंधा में बड़ा सर्च अभियान शुरू किया गया. इसी सर्च अभियान में कोबरा और सीआरपीएफ को लगातार सफलता मिल रही है. सुरक्षाबलो ने छकरबंधा के इलाके को घेर लिया है. पूरे इलाके में लगातार विस्फोट की आवाज सुनाई दे रही है. इधर पलामू में तैनात सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षाबलों ने सीमावर्ती इलाके को सील कर दिया है.
माओवादियों का पोलित ब्यूरो सदस्य फरार: छकरबंधा में सुरक्षाबलों के लगातार अभियान के बाद भी नक्सलियों ने अपने सबसे सुरक्षित ठिकाने को छोड़ दिए हैं. माओवादियों के पोलित ब्यूरो का सदस्य प्रमोद मिश्रा दस्ते के साथ लापता हो गया है. जबकि माओवादियों के कुछ सदस्य पलामू-चतरा सीमा की तरफ भाग गए हैं.
संदीप यादव के मौत के बात माओवादियो की टूटी कमर: माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य संदीप यादव के मौत के बाद छकरबंधा के इलाके में नक्सलियों की कमर टूट गई है. जानकारी के अनुसार माओवादियों का टॉप कमांडर नितेश यादव भी काफी दिनों से बीमार है और अज्ञात स्थान पर इलाज करवा रहा है. संदीप यादव के मौत के बाद मओवादियों को छकरबंधा में कोई कमांडर नही मिल रहा था. इसी बीच सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने उनकी कमर तोड़ दी है.
माओवादियों के मध्य जोन की राजधानी है छकरबंधा: माओवादियों के मध्यजोन की राजधानी छकरबंधा को कहा जाता है. इस इलाके में बिहार का गया, औरंगाबाद, रोहतास और सासाराम का इलाका है, जाबकि झारखंड का पलामू, चतरा और गढ़वा का कुछ इलाका है. माओवादियों को बिहार झारखंड में सबसे अधिक इसी इलाके से लेवी मिलती है. 2004-05 से ही यह इलाका माओवादियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना रहा है. छकरबंधा की सीमा पलामू, चतरा, गया और औरंगाबाद तक सटी हुई है.
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