झारखंड : अवैध रूप से घने जंगलों में बनाई जा रही शराब, अब पुलिस ड्रोन से भट्ठिया तलाशेगी
झारखंड: झारखंड में घने जंगलों का फायदा नक्सलियों के बाद अवैध रूप से शराब बनाने वाले भी उठा रहे हैं। पहले नक्सलियों का पता लगाने के लिए पुलिस ड्रोन का इस्तेमाल करती थी। अब ड्रोन का इस्तेमाल अवैध रूप से बनने वाली शराब के अड्डों का पता लगाने के लिए किया जाएगा। वैसे इलाके, जहां अवैध रूप से शराब बनाई जाती है, वहां की भट्ठियों का पता ड्रोन से लगाने के बाद उन इलाकों में कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि जंगलों में अचानक घुसना पुलिस के लिए भी चुनौती भरा काम है।
शराब भट्ठियों का पता लगाने के लिए टीम बनाई गई है, जो मुख्य रूप से दलमा, हुरलुंग आदि इलाकों में कार्रवाई करेगी। शहर के आसपास के पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से शराब बनाई जाती है। इसके बाद उसकी आपूर्ति वाहनों के माध्यम से शहरी इलाकों में की जाती है। सूत्रों के अनुसार, हर दिन शहरी इलाके में लगभग 12 हजार लीटर अवैध शराब की आपूर्ति की जाती है। इसके चलते सरकार को लाखों के राजस्व की हानि होती है। अवैध शराब के खिलाफ पुलिस द्वारा कई बार अभियान चलाया जाता है। छापेमारी भट्ठियों में की जाती है, लेकिन कार्रवाई के बाद दोबारा उसी जगह शराब बनाने का काम शुरू हो जाता है। अब पुलिस ड्रोन के माध्यम से शराब के अड्डों का पता लगाने के बाद उसे इस तरह से खत्म करेगी कि वहां पर दोबारा शराब न बन सके।
जिले में 18 अवैध शराब की भटि्ठयां हैं। इमसें करीब 12 हजार लीटर शराब रोज बनाई जाती है, जो पक्की होती है। बाद में इसमें पानी की मिलावट की जाती है। अवैध शराब का व्यवसाय, निर्माण, बिक्री व वितरण होने से राज्य को क्षति हो रही है। शराब के अवैध व्यापार से जहरीली शराब के सेवन की भी संभावना बनी रहती है।
शराब बनाने का काम संगठित रूप से किया जा रहा है, जिसमें अंतरराज्यीय व अंतर जिला पेशेवर गिरोहों के शामिल होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे गिरोह पर अंकुश लगाने के लिए सशस्त्र एवं सशक्त पुलिस बल की आवश्यकता होती है।
शराब की अवैध बिक्री के मामले में राज्य के 12 जिले विशेष रूप से अलर्ट मोड पर हैं और वहां कार्रवाई भी की जा रही है। इसमें जमशेदपुर के अलावा रांची, लोहरदगा, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, चतरा, धनबाद, लातेहार, सरायकेला व जामताड़ा शामिल हैं। पूर्वी सिंहभूम के एसएसपी प्रभात कुमार ने बताया कि अवैध शराब के खिलाफ अभियान चल रहा है। वैसे जगहों को चिह्नित किया गया है, जहां शराब बनती है। उस जगह का पता लगाने और नियमित कार्रवाई के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी।