परीक्षाओं में हिंदी को एक भाषा के रूप में शामिल करने को तैयार है झारखंड सरकार

झारखंड सरकार ने बुधवार को राज्य उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वह सरकारी नौकरी भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं में हिंदी को एक भाषा के रूप में शामिल करने को तैयार है।

Update: 2022-05-12 09:02 GMT

झारखंड सरकार ने बुधवार को राज्य उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वह सरकारी नौकरी भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं में हिंदी को एक भाषा के रूप में शामिल करने को तैयार है।सुप्रीम कोर्ट के वकील मुकुल रोहतगी ने राज्य की ओर से दलील देते हुए कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हिंदी को विषयों की सूची में शामिल किया जाएगा। अदालत ने सरकार को मामले में एक समग्र और विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।

मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ उम्मीदवारों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो जेएसएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शामिल हुए थे।
हिन्दी को लेकर सवाल उठे थे सवाल
हेमंत सोरेन सरकार के नियुक्तियों के लिए नई नीति का ऐलान करने पर भाषा को लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया था और भाजपा ने आरोप लगाया था कि झारखंड में 'भेदभाव' को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस नई नीति के मुताबिक नौकरी पाने वाले इच्छुकों के लिए एक क्षेत्रीय व एक आदिवासी भाषा में कम से कम 30 फीसदी नंबरों को मेरिट लिस्ट बनाने के लिए अनिवार्य किया गया है। आदिवासी भाषाओं को लिस्ट में शामिल करने पर तो राज्य सरकार की तारीफ हुई है, लेकिन हिन्दी को लेकर सवाल भी उठे हैं।
कौन सी भाषाएं हैं शामिल?
झारखंड सरकार की नई नीति के मुताबिक राज्य स्तरीय परीक्षाओं में कोई भी व्यक्ति 12 भाषाओं में से एक चुनकर उसमें परीक्षा दे सकता है। इन भाषाओं में मुंडारी, खड़िया, हो, संथाली, खोरठा, पांचपरगनिया, बांग्ला, उर्दू, कुर्माली, नागपुरी, कुरुख और उड़िया शामिल हैं। इस लिस्ट का अर्थ है कि इन 12 भाषाओं में परीक्षा के पेपर दिए जाएंगे। यानी हिन्दी और संस्कृत में जैसे पहले पेपर मिलते थे, अब नहीं मिलेंगे


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