Jamshedpur : अंधविश्वास ने ली मासूम की जान, सर्पदंश के बाद करा रहे थे झाड़फूंक

Update: 2024-07-28 11:15 GMT
Jamshedpur जमशेदपुर : ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास की जड़ें अब भी काफी मजबूत हैं, लोग गंभीर बीमारी का इलाज अस्पताल में करवाने के बजाय किसी ओझा या जड़ी बूटी के नाम पर इलाज करने वाले के पास भागते हैं. पूर्वी सिंहभूम जिले के कोवाली में इसी अंधविश्वास के चलते एक मासूम की जान चली गई. चार साल की बच्ची और उसकी मां को सांप ने डसा तो मजदूर पिता इलाज करवाने के बजाय गांव के ही ओझा के पास ले गया, ओझा ने दवा दी, कुछ समय बाद बच्ची की हालत बिगड़ी तो जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल ले गए. हालांकि रास्ते में ही बच्ची ने दम तोड़ दिया जबकि पांच दिनों तक मां का इलाज चला. इस बीच तीन साल के बेटे को भी मलेरिया हो गया. इन सब में पिता इतना उलझ गया कि बेटी के मौत के पांच दिन बाद भी शव का पोस्टमार्टम नहीं करवा पाया. पिता ने विधायक, ग्राम प्रधान और मुखिया से भी मदद मांगी पर किसी ने
मदद नहीं की.
छह दिन तक एमजीएम अस्पताल में ही पड़ा रहा शव
दरअसल पूर्वी सिंहभूम जिले के कोवाली के रोटेडा निवासी अभिनाथ सरदार अपनी पत्नी बिनोती सरदार और पांच बच्चों के साथ रहता है. अभिनाथ मजदूरी कर जीवन यापन करता है. अभिनाथ ने बताया कि बीते 22 जुलाई की रात को पत्नी बिनोती बच्चों के साथ जमीन पर सोई थी. इसी दौरान एक सांप ने चार साल की बेटी मनीषा सरदार और पत्नी बिनोती को डंस लिया. सुबह ग्रामीणों ने झाड़ फूंक करने की सलाह दी. गांव के ही सुरु मुंडा के पास झाड़ फूंक के लिए ले गए. सुरु मुंडा ने झाड़ फूंक शुरू किया. दूसरे दिन 23 जुलाई को बच्ची की तबियत बिगड़ने लगी तो सुरु ने अस्पताल ले जाने की सलाह दी. 23 जुलाई को शाम 4 बजे बच्ची और पत्नी को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लेकर पहुंचे पर बच्ची की मौत हो गई. हालांकि डॉक्टरों ने पत्नी का इलाज शुरू किया और बच्ची के शव को शव गृह में रखवा दिया. इसी बीच तीन साल के बेटे समराज सरदार को मलेरिया हो गया. उसे भी इलाज ले लिए एमजीएम में भर्ती कराया.
 
विधायक, ग्राम प्रधान और मुखिया ने भी नहीं की मदद
अभिनाथ ने बताया कि पत्नी और बच्चे के इलाज के कारण वह बच्ची के शव का पोस्टमार्टम नही करवा पा रहा था. शनिवार को पत्नी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई जिसके बाद रविवार को बच्ची के शव का पोस्टमार्टम करवाया. अभिनाथ ने बताया कि पत्नी और बच्ची को अस्पताल पहुंचाने के लिए उसे एम्बुलेंस को एक हजार रुपये देने पड़े. बेटी की मौत के बाद मोक्ष वाहन से शव को पोस्टमार्टम हाउस और फिर घर लेकर जाने के लिए तीन हजार रुपये की मांग की जबकि उसके पास लाल कार्ड है. वहीं उसने विधायक संजीव सरदार, चोरुगोड़ा ग्राम प्रधान उदय हांसदा और मुखिया सरस्वती मुर्मू से भी मदद मांगी पर किसी ने मदद नहीं की.
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