इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर फंसा हुआ है 'जमशेदपुर' और 'सिंहभूम' का पेच

लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे वैसे इंडिया गठबंधन के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं.

Update: 2024-03-27 05:29 GMT

जमशेदपुर : लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे वैसे इंडिया गठबंधन के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं. इंडिया गठबंधन की तरफ से अभी सीटों के बंटवारे का ऐलान नहीं हुआ है. सूत्रों की मानें तो इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर 'जमशेदपुर' और 'सिंहभूम' का पेच फंसा हुआ है. जमशेदपुर और सिंहभूम लोकसभा सीट पर कांग्रेस और झामुमो दोनों दावा ठोक रहे हैं. सिंहभूम सीट पर वहां की सांसद गीता कोड़ा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थीं. इसलिए कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता पूरा जोर लगाए हुए हैं कि यह सीट कांग्रेस को मिलनी चाहिए. कांग्रेस के पदाधिकारीयों का तर्क है कि सिंहभूम सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. इस पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. साल 1977, 1980, 1984, 1989 और साल 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस के बागुन सुंब्रोई चुनाव जीते थे. साल 1998 में कांग्रेस के विजय सिंह सोय ने बाजी मारी थी. जमशेदपुर सीट पर भी कांग्रेस अपना दावा पेश कर रही है. जमशेदपुर संसदीय सीट से साल 1952 के चुनाव में कांग्रेस के मोहिंद्र कुमार घोष,1971 के चुनाव में स्वर्ण सिंह सोखी और 1984 में गोपेश्वर चुनाव जीत चुके हैं.

कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का कहना है की जमशेदपुर में उनके पास जिताऊ उम्मीदवार हैं. जमशेदपुर संसदीय सीट से पूर्व सांसद डॉक्टर अजय कुमार और जमशेदपुर पश्चिम के विधायक स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता टिकट पाने की कतार में हैं. कहा जा रहा है कि यह दोनों जिताऊ उम्मीदवार हैं. क्योंकि, डॉक्टर अजय कुमार पहले भी लोकसभा का चुनाव यहां से जीत चुके हैं. डॉ अजय कुमार जमशेदपुर के एसएसपी भी रह चुके हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी छवि थी. हालांकि, वह साल 2014 का चुनाव हार गए थे. लेकिन, कांग्रेसियों का कहना है कि उसे चुनाव में डॉक्टर अजय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मा की वजह से हारे थे. कांग्रेसियों की सोच है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं है. इस बार डॉक्टर अजय कुमार अपने दम पर बाज़ी जीत सकते हैं.
यही बात स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बारे में भी कही जा रही है. कांग्रेसियों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य मंत्री को टिकट मिलता है तो उनका अपना नेटवर्क है. अल्पसंख्यक वोट उनके खाते में है हीं. सवर्ण वोटों पर भी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की पकड़ है. जिले में मारवाड़ी मतों की भी संख्या कम नहीं है. माना जा रहा है कि बन्ना गुप्ता के मैदान में आने से मारवाड़ी वोट भी भाजपा से छिटक कर उनके खाते में आ सकते हैं.
मंत्रियों को चुनाव लड़ा सकती है कांग्रेस
पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि प्रदेश में कांग्रेसी मंत्रियों को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाए. शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि मंत्रियों का अपना वोट बैंक है और वह थोड़ी बहुत मेहनत से लोकसभा चुनाव का मैदान मार सकते हैं. सूत्र बताते हैं कि इसी वजह से महीना भर पहले सभी कांग्रेसी मंत्रियों को दिल्ली बुलाया गया था और उनसे लोकसभा चुनाव की उम्मीदवारी को लेकर चर्चा भी की गई थी. ‌ वहीं, कांग्रेसियों में एक धड़ा वह भी है जो मंत्रियों को चुनाव नहीं लड़ाने के पक्ष में है. इस धड़े का कहना है कि कांग्रेस के पास मंत्रियों से इतर भी कई उम्मीदवार हैं, जो लोकसभा का चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं.
एलान में देर से गिर रहा कार्यकर्ताओं का मनोबल
इंडिया गठबंधन की तरफ से लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में देर से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है. लोगों का कहना है कि सीटों का ऐलान होने के बाद झामुमो और कांग्रेस में उम्मीदवारों में टिकट पाने की होड़ मचेगी. चुनाव सर पर है, इसलिए अब तक सीटों के बंटवारे का ऐलान हो जाना चाहिए.


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