सहारा इंडिया के कार्यकर्ताओं को सड़क पर अंडा बेचते देख निवेशक हैरान

सहारा इंडिया कभी देश की दूसरी सबसे बड़ी रोजगार देने वाली वित्तीय संस्था रही है.

Update: 2022-09-15 02:51 GMT

न्यूज़ क्रेडिट  : lagatar.in

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सहारा इंडिया कभी देश की दूसरी सबसे बड़ी रोजगार देने वाली वित्तीय संस्था रही है. देशभर में करीब 12 लाख लोग इसमें काम करते थे. बेरमो की बात करें, तो करीब सात हजार लोग इससे जुड़े हुए थे. 22 मार्च 2022 के बाद इस संस्था में काम करने वाले कार्यकर्ता बेरोजगार हो गए. आज की तारीख में सबके सामने परिवार के भरण पोषण की समस्या है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सहारा इंडिया से जुड़े कुछ लोगों ने फुटपाथ पर अंडा बेचने का काम शुरू कर दिया है. कई लोग पेट्रोल पंप में रात्रि सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी कर रहे हैं. सहारा इंडिया में पैसा जमा करने वाले कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे लोग सहारा इंडिया के कार्यकर्ताओं को अंडा बेचते देख हैरान हैं.

बहुत परेशान हैं हम
सहारा इंडिया के एक कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इन दिनों वे परिवार चलाने के लिए अंडा, चॉकलेट, बिस्कुट आदि बेच रहे हैं. जब हालात अच्छे थे, तब लोग सहारा में पैसे जमा कराते थे. तब उन्हें भी कमीशन के रूप में अच्छी-खासी रकम मिल जाती थी और परिवार भी ठीक से चल जाता था. अब तो सब खत्म हो गया. जिन्होंने पैसे जमा कराये, उन्हें रिटर्न नहीं मिला. वो लोग तगादा करते हैं. हमारे पास कोई जवाब नहीं होता. हम सब बहुत परेशान हैं.
बेरमो में 15 ब्रांच
सहारा इंडिया का बेरमो अनुमंडल में 15 ब्रांच है. इसमें करीब 7 हजार से अधिक कार्यकर्ता (एजेंट) काम करते थे. 22 मार्च 2022 को कोर्ट ने अपने एक फैसले में किसी भी तरह की राशि जमा लेने पर रोक लगा दी है. इस रोक के बाद सहारा इंडिया में काम करने वाले कार्यकर्ता पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं.
80 प्रतिशत एजेंट भुखमरी की कगार पर
गोमिया ब्रांच के कार्यकर्ता संजय पांडेय के अनुसार, वह पिछले 26 साल से सहारा इंडिया परिवार में काम कर रहे हैं. गोमिया ब्रांच से हर माह करीब सवा करोड़ रुपये का व्यवसाय होता था. गोमिया रीजन से प्रति माह करीब तीन करोड़ रुपये का व्यापार होता था. सहारा इंडिया में कोर्ट के आदेश के बाद गोमिया एवं आसपास के क्षेत्र का बाजार अस्त-व्यस्त हो गया है. सहारा इंडिया में काम करने वाले अभिकर्ता पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. अधिकांश कार्यकर्ता या तो कहीं मजदूरी कर रहे हैं या किसी काम की तलाश में हैं. करीब 20 प्रतिशत अभिकर्ता सहारा इंडिया के काम के अलावा दूसरे तरह के कार्य भी करते थे. उन्हीं दूसरे कामों की वजह से आज वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, लेकिन 80 प्रतिशत कार्यकर्ता भुखमरी की कगार पर हैं. उन्हें अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. उन्हें भरोसा है कि एक बार फिर वे सहारा इंडिया परिवार में काम करने लगेंगे और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेंगे.
अभिकर्ता कंचन तिवारी ने बताया कि सभी कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन भर की कमाई एक निवेशक की तरह सहारा इंडिया में ही जमा कर दिया है. एक ओर वे रोजगार से वंचित हो गए, वहीं दूसरी ओर जमा राशि भी फंस गई है.
अभिकर्ता कार्तिक राम ने कहा कि सहारा इंडिया में काम कर वह अपना और परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से कर रहा था. अचानक कोर्ट का आदेश आ गया और वह बेरोजगार हो गया. खाने पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होने लगी. विवश होकर पेट्रोल पंप में निजी सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहा है.
अभिकर्ता मुकेश कुमार ने बताया कि गोमिया ब्रांच से संबद्ध कार्यकर्ता हर माह पांच हजार से लेकर एक लाख रुपये तक कमीशन के रूप में कमाते थे. इन दिनों अभिकर्ताओं की स्थिति दयनीय हो गई है.
सहारा इंडिया गोमिया रीजन के रीजनल मैनेजर बलराम प्रसाद ने बताया कि देशभर में 12 लाख कार्यकर्ता कार्यरत हैं. देशभर के 14 करोड़ लोगों ने सहारा इंडिया में अपनी जमा-पूंजी जमा कर रखी है.
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