राँची न्यूज़: रांची के डोरंडा में पांच जुलाई 2019 को हुई हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी है. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सरकार को तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. अदालत ने पूछा है कि इस घटना के बाद कितने आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. कितने लोगों की गिरफ्तारी हुई और मामले का अनुसंधान किस चरण में है. पंकज कुमार यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि वर्ष 2019 में डोरंडा हिंसा में जो आरोपी शामिल थे, उसमें अधिकांश लोग दस जून 2022 को रांची में हुई हिंसा में भी थे. इस पर अदालत ने प्रार्थी को इसे लिखित में देने का निर्देश दिया.
सरायकेला में तबरेज अंसारी की भीड़ की पिटाई से मौत के बाद डोरंडा में एक सभा हुई थी, जिसके बाद हिंसा हुई थी. इसके बाद पंकज कुमार यादव ने इस घटना की जांच के लिए जनहित याचिका दायर की है. प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि सरायकेला खरसावां में तबरेज अंसारी की मॉब लिचिंग के बाद पांच जुलाई 2019 को डोरंडा में एक समुदाय ने सभा की थी. सभा से लौट रहे लोगों ने उत्पात मचाया था और पथराव करना शुरू कर दिया था. पथराव में कई लोग घायल हो गए थे और बच्चों से भरी स्कूल बस पर भी पथराव किया गया था.
इससे काफी नुकसान हुआ था. एक तकनीकी कॉलेज की बस को जलाने का भी प्रयास किया गया था. लेकिन पुलिस इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं कर रही है. कई आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया और वे अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं. हिंसा देर रात तक जारी थी. देर रात एकरा मस्जिद के पास चाकूबाजी भी की गई थी. इसमें इंद्रपुरी के रहने वाले विवेक कुमार घायल हो गए थे.