मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी, ईसी ने सुरक्षित रखा फैसला
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज से जुड़े मामले की सुनवाई भारत निर्वाचन आयोग में पूरी हो गई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज से जुड़े मामले की सुनवाई भारत निर्वाचन आयोग में पूरी हो गई है। आयोग ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। चुनाव आयोग के निर्देश पर दोनों पक्षों ने लिखित दलीलें गुरुवार को पेश कर दीं। इस मामले में फैसला बाद में आएगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और अनूपचंद्र पांडे की फुल पीठ ने मामले में सुनवाई की है।
आयोग में अलग तिथियों में सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री के वकीलों ने निर्वाच आयोग के समक्ष मामले में अयोग्यता से जुड़ी याचिका पर अपनी दलीलें पेश कीं। हेमंत सोरेन की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने आयोग के सामने जोर देकर कहा कि इस मामले में चुनाव कानून का प्रावधान लागू नहीं होता है। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला हितों के टकराव से जुड़ा हुआ है और वह जनप्रतिनिधित्व कानून के दायरे में आते हैं।
गौरतलब है कि भाजपा की शिकायत पर निर्वाचन आयोग की ओर से मई में मुख्यमंत्री को जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 9-ए के तहत नोटिस जारी कर पक्ष मांगा था। भाजपा ने कहा था कि मुख्यमंत्री रहते सरकारी खनन का ठेका लेने पर वह अयोग्य हो गए हैं। इससे पूर्व भाजपा ने राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने अपने नाम से रांची के अनगड़ा अंचल में पत्थर खनन लीज लिया।
इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए राज्यपाल से हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग की गई। राज्यपाल रमेश बैस ने इस पर भारत निर्वाचन आयोग से परामर्श मांगा था। आयोग परामर्श देने से पहले मामले में सुनवाई की है।