Hazaribagh: एक सीट पर दो कांग्रेस प्रत्याशियों ने डाला पर्चा

Update: 2024-10-27 13:35 GMT
Hazaribagh हज़ारीबाग़ : बरही विधानसभा से केदार पासवान व अरुण साव इन दो उम्मीदवारों ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में से अपना नामांकन दाखिल किया है. इस बात की चर्चा पूरे बरही विधान सभा में हो रही है. जहा तक जानकारी मिल रही है कि कांग्रेस पार्टी का सिंबल अरुण साव को दे दिया गया है तो आखिर किस आधार पर केदार पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया. आखिर ऐसी नौबत क्यों आयी. इस बात की जानकारी लेने के लिए केदार पासवान से फोन पर बातचीत की. केदार ने बताया कि कहीं भी किसी तरह की असमंजस की स्थिति नहीं थी. झारखंड में जब टिकट बंटवारा हो रहा था तो 8 विधानसभा के टिकट होल्ड पर रखे गए थे. उसमें बरही और कांके विधानसभा भी शामिल था. कांग्रेस की सीसी के दौरान मैंने बरही से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी,
क्योकि ये मेरा कर्म क्षेत्र है.
केदार ने कहा कि स्क्रीनिंग के दौरान हम तीन लोग उमाशंकर अकेला, केदार पासवान और अरुण साव ने अपनी अपनी दावेदारी पेश की थी. मुझसे ये कहा गया था कि बरही सीट की दावेदारी मैं छोड़ दूं. कांके चूंकी रिज़र्व सीट है और मैं वहां रहता हूं तो मेरे लिए कांके की सीट ठीक रहेगी. बाद में मेरी कांके की सीट की दावेदारी इस बात पर काट दी गयी की मैं वहां का लोकल निवासी नहीं हूं. मुझे फिर बरही सीट का आश्वासन दिया गया. मैं यहां आया और नामांकन प्रपत्र लिया. बाद में मुझे पता चला कि उमाशंकर अकेला को टिकट मिल सकता है. मैं और अकेला टिकट के दौड़ में थे. वे सिटिंग विधायक भी थे. रातों रात अचानक अरुण साहू फ्रेम में आ गए. ना मुझे टिकट मिला और ना ही सिटिंग विधायक को टिकट मिला. ये कौन सा जादू था. अकेला झारखंड के कांग्रेस के सिटिंग विधायक थे. जिनका टिकट काट दिया गया. जब पार्टी को किसी और को टिकट देना था तो मुझे क्यों बरही पेपर लेकर नामांकन करने को कहा. केदार ने बताया कि उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी नामांकन पत्र डाला है.
केदार ने कहा कि बरही में 90,000 दलितों की आबादी है. लेकिन पार्टी को एक नुमाइंदा नहीं मिलता है. हमेशा दलित उम्मीदवार को दरकिनार किया जाता है. राहुल गांधी दलितों की उत्थान की बातें करते हैं. टिकट बांटते समय कहां चला जाता है दलित प्रेम. दलित के बेटो को क्यों नज़रंदाज़ किया जाता है. मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं. अगर मुझे शुरू में ही बोल दिया जाता कि टिकट नहीं मिलेगा तो मैं एक सच्चे सिपाही की तरह जिसे पार्टी टिकट देती उसका सपोर्ट करता. लेकिन दलित समझकर कभी कांके, कभी बरही दौड़ाया गया. ये किसी भी लिहाज से सही नहीं हुआ. ज्ञात हो कि इस मामले को लेकर उमाशंकर अकेला ने भी कांग्रेस पार्टी पर पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया था. अकेला ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया है और बरही से वे चुनाव लड़ेंगे.
Tags:    

Similar News

-->