रांची हिंसा को लेकर सरकार ने हाईकोर्ट में सौंपी सीलबंद रिपोर्ट, अगले हफ्ते होगी सुनवाई

झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में राजधानी रांची में 10 जून को हुई हिंसा की एनआईए से जांच करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

Update: 2022-07-23 01:40 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में राजधानी रांची में 10 जून को हुई हिंसा की एनआईए से जांच करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद अदालत ने कहा कि पूरी रिपोर्ट देखने के बाद ही आगे की सुनवाई होगी। साथ ही सुनवाई के लिए अगले सप्ताह की तिथि निर्धारित की गई। बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।

कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस घटना के बारे में कोई खुफिया जानकारी पुलिस के पास थी या नहीं। कितनी गोली पुलिस में चलाई और उसमें कितने लोग घायल हुए और मरे इसकी भी जानकारी दी जाए। कोर्ट ने कहा कि 10 हजार उपद्रवी कैसे जमा हो गए। इतने पत्थर कैसे जमा हो गए। पुलिस ने गोली चलाने से पहले पानी का फव्वारा, आंसू गैस, लाठीचार्ज क्यों नहीं किया। बता दें कि याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची के निवर्तमान उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआईए, ईडी को प्रतिवादी बनाया है।
याचिका में की गई है कार्रवाई की मांग
पंकज कुमार यादव की ओर से दाखिल याचिका में अदालत से मामले की एनआईए जांच कराकर झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपियों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है। याचिका के रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए एनआईए से जांच करवाकर यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया। नूपुर शर्मा के बयान पर जिस तरह से रांची पुलिस पर पत्थरबाजी हुई, प्रतिबंधित अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग हुए, धार्मिक स्थल पर पत्थरबाजी की गई, यह प्रायोजित प्रतीत होती है।
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