गालूडीह : स्वर्णरेखा नदी का बराज डैम बेरोजगार युवाओं के लिए साबित हो रहा है वरदान
ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग मेहनत मजदूरी करके ही अपना जीवन यापन करते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग मेहनत मजदूरी करके ही अपना जीवन यापन करते हैं. इलाके में कई ऐसे युवा हैं जो अब भी बेरोजगार हैं. ऐसे में पेट पालने के लिए उनके पास सिर्फ एक ही सहारा बचा है. विदित हो कि गालूडीह क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के लोग इन दिनों स्वर्णरेखा नदी के बराज डैम में मछलियां पकड़कर अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. सुबह होते ही आसपास के ग्रामीण बाइक तथा साइकिल से स्वर्णरेखा नदी के बराज डैम पहुंच रहे हैं.
राहगीरों के बीच 100 रुपये किलो की दर से ग्रामीण बेचते हैं मछली
मछली विक्रेताओं ने बताया कि डैम के ऊपर से रस्सी के सहारे मछली पकड़ने वाले जाल को नीचे उतारा जाता है. फिर जाल में मछली फंसने के बाद जाल को रस्सी से ऊपर खिंचा जाता है. पकड़ी हुई मछलियों को डैम के रास्ते से आने-जाने वाले राहगीरों के बीच 100 रुपये किलो के दर से बेचा जाता है. वहीं, मछली विक्रेता सालखेन सोरेन ने बताया कि शाम तक करीब लगभग 500 रुपये तक कि आमदनी हो जाती है. सुबह से शाम तक पकड़ी गई मछलियों को बेचकर वे किसी तरह खुद का और परिवार का पेट पाल रहे हैं.