सिमडेगा : सिमडेगा के जलडेगा में मां-बाप के झगड़े से तंग आकर बेटी ने जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया. घटना के बाद उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है
मिली जानकारी के अनुसार, जिले के जलडेगा का थाना क्षेत्र के पतिअंबा गांव में बीती रात पोलिंन बागे नाम की युवती के माता-पिता में आपस में झगड़ रहे थे. इस बीच बेटी पोलिंन उन्हें झगड़ा करने से मना करने लगी और कहा कि इस तरह बार-बार झगड़ा करने से हम लोगों पर खराब असर पड़ेगा. बेटी की इस बात से गुस्सा होकर पिता ने बेटी को मारने के लिए दौड़ाया. जिसपर गुस्से में बेटी ने कहा कि मैं खुद मर जा रही हूं आप लोग क्यों मारियेगा. यह कहकर उसने घर में रखी हुई जहरीले कीटनाशक को खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया. हालत बिगड़ने पर पड़ोस में रहने वाले रिश्तेदार ने पॉलिन को जलडेगा अस्पताल में भर्ती कराया. जहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे सदर अस्पताल में भेजा गया.
सिमडेगा के जलडेगा में घटित यह घटना आधुनिक दौर में हर घर समाज को एक आईना दिखा रही है. बता दें, शादी-शुदा लोगों के बीच अक्सर घर में झगड़े होते है, वो भी छोटी-छोटी बातों को लेकर. जिसकी वजह से उनके घर का माहौल काफी नकारात्मक हो जाता है. इसलिए उनके बच्चे पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. घर में हमेशा तनाव भरा माहौल रहने की वजह से माता-पिता के साथ बच्चे में भी कई बुरी आदतें आने लगती है. आगे चलकर ये उसके लिए तो नुकसानदायक होती ही है, बल्कि उसके साथ रहने वाले बच्चों के लिए भी कई गुना नुकसानदायक हो सकती है. बच्चे के सामने माता-पिता का अत्यधिक झगड़ना उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर कर सकता है. माता-पिता के बीच नियमित झगड़े का होना बच्चों में नकारात्मक भावनाओं को भी पैदा करता है. इससे उनमें असुरक्षा की भावना भी पैदा होती है. इस असुरक्षा के परिणामस्वरूप, बच्चे चिंता, अवसाद जैसे कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार होते हैं. बच्चों के सामने अगर माता-पिता झगड़ा करते हैं तो इसका असर बच्चों के दिमाग को और भयभीत कर देता है जिसके कारण इनका बचपन कम होने लगता है और बच्चे अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं.
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बच्चों पर पड़ता है लड़ाई-झगड़े का असर
अपने माता-पिता को नियमित रूप से लड़ते हुए देखने से बच्चे चिंतित, उदास और असहाय महसूस करने लगते हैं. जिसकी वजह से कुछ बच्चे या तो खाना बंद कर देते हैं या बहुत अधिक खाने लगते हैं. इस कारण वे सिरदर्द या पेट दर्द के शिकार भी हो सकते हैं. यहां तक कि उन्हें रात को सोते समय परेशानी भी हो सकती है. माता-पिता के बीच लड़ाई बच्चों में गलत व्यवहार को जन्म देती हैं. माता-पिता की इस लड़ाई के बीच बच्चों के मानसिक विकास पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. बार-बार होने वाले इस झगड़े की वजह से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है उनके सोचने और समझे की शक्ति कम होने लगती है. इसकी वजह से उन्हें पढ़ने और लिखने में काफी परेशानी होने लगती है.
माता-पिता के बीच निरंतर झगड़े होने की वजह से बच्चे के स्वाभाव में भी काफी बदलाव आ जाता है. वे हर बात का जवाब चिड़कर देने लगता है. इस झगड़े का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ता है और वे चाहकर भी इस माहौल से खुद को बाहर नहीं निकाल पाते हैं. कभी-कभी हालत सिमडेगा के जलडेगा में घटित घटना के जैसी भी हो जाती है. बच्चे माता पिता के इस झगड़े से तंग आकर खुद को ही खत्म करने लगते है.
यदि आपके घर में भी ऐसा माहौल रहता है कि आप अपने बच्चे के सामने लड़ते है, तो ऐसा बिल्कुल भी ना करें, क्योंकि ऐसा करने से आपके पूरे घर का माहौल खराब हो जाता है. जिसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ता है. कई शोधों में यह बातें सामने आई है कि माता-पिता के आपसी झगड़े के कारण न केवल बड़े बच्चे या किशोर बल्कि छह महीने तक के बच्चों के ऊपर भी गलत प्रभाव पड़ता है.