कोयंबटूर के कारुण्या इंस्टीट्यूट में झारखंड निवासी प्रोफेसर की मौत पर परिजनों ने उठाए कई सवाल
रांची (आईएएनएस)। तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित कारुण्या इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर झारखंड निवासी समीर कुमार की संदिग्ध मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। समीर के परिजनों ने आशंका जताई है कि उनकी हत्या की गई है और इसके पीछे धर्मांतरण का दबाव हो सकता है।
कारुण्या यूनिवर्सिटी ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित है। परिजनों का कहना है कि कैंपस में जिन परिस्थितियों में उनकी लाश पाई गई, उसमें यह पूरी तरह हत्या का मामला है, जिसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है।
बता दें कि 28 वर्षीय समीर कुमार का शव 6 सितंबर को संस्थान स्थित उनके कमरे में बेल्ट के सहारे फंदे पर झूलता पाया गया था। वह बोकारो जिले के कसमार थाना क्षेत्र अंतर्गत दातू गांव के रहने वाले थे।
उन्होंने 14 अगस्त को कोयंबटूर की कारुण्या इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर ज्वाइन किया था। ज्वाइनिंग के मात्र 23 दिनों के बाद जब उनके घरवालों को उनकी मौत की खबर दी गई तो कोहराम मच गया।
उनका शव 7 सितंबर को रांची लाया गया तो उनके परिजनों और रांची में रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी के सैकड़ों छात्रों ने राजभवन के समक्ष शव के साथ प्रदर्शन किया और उनकी मौत को हत्या बताते हुए सीबीआई से जांच की मांग की थी।
दरअसल, कारुण्या इंस्टीट्यूट ज्वाइन करने के पहले वह रांची में रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे और यहां के छात्रों के बीच खासे लोकप्रिय थे। कारुण्या इंस्टीट्यूट प्रबंधन और कोयंबटूर पुलिस ने उनकी मौत को आत्महत्या बताया है, लेकिन उनके घर वालों का कहना है कि उनपर यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कई तरह के दबाव पड़ रहे थे।
उनका कहना है कि समीर धार्मिक प्रवृत्ति का युवक था। हर मंगलवार को बजरंगबली की पूजा करते थे और सिर पर तिलक लगाते थे। कॉलेज प्रशासन ने उन्हें तिलक लगाने से मना कर दिया। इतना ही नहीं, उनकी मौत के बाद समीर द्वारा पूजा-पाठ में उपयोग लाया जाने वाला चंदन, रोली, धूप वगैरह के सभी सामान बाहर डस्टबीन में फेंके हुए थे। समीर ऐसी हरकत कर नहीं सकता।
घर वालों का यह भी कहना है कि इंस्टीट्यूट ज्वाइन करने के बाद उन्हें कुछ कागजात दिए गए थे, जिसमें जीसस से संबंधित धार्मिक विश्वासों के बारे में कई सवाल पूछे गए थे। समीर ने उन पर अपनी कोई राय नहीं दी थी। इस पर इंस्टीट्यूट की एचओडी ने उन्हें बुलाकर पूछताछ की थी और कहा था कि जीसस के बारे में पूछे गए सवालों पर अपने उत्तर लिखते हुए हस्ताक्षर करें।
समीर के भाई प्रवीर कुमार और बहन आकांक्षा कुमारी का कहना है, समीर ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। इन घटनाक्रमों से घरवालों को आशंका है कि उन पर धर्मांतरण का दबाव डाला जा रहा था। सोशल मीडिया पर समीर के लटके हुए शव की जो तस्वीर आई है, उसमें उनके दोनों पैर जमीन से सटे हुए हैं।
घर वाले सवाल उठा रहे हैं कि कोई व्यक्ति खुद से फंदे पर लटकेगा तो उसके पांव जमीन को कैसे छू सकते हैं। उच्चस्तरीय जांच हो तो सारे तथ्य सामने आ जाएंगे। समीर के परिजनों ने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा है।
पत्र में आशंका जताई गई है कि धर्मांतरण को लेकर उसकी हत्या की गयी है, इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच के लिए वे केंद्र तक यह मामला पहुंचाने में मदद करें। बाबूलाल मरांडी ने उसके परिजनों को भरोसा दिलाया है कि वे इस मामले से पीएमओ और गृह मंत्रालय को अवगत करायेंगे।
रांची के भाजपा सांसद संजय सेठ ने भी प्रो. समीर की मौत को संदिग्ध बताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।