महंगाई की मार! 15 से 30 प्रतिशत तक बढ़े पिछले पांच साल में खाद्य पदार्थ से लेकर गैस के दाम, दवा के रेट में भी हुआ इजाफा
महंगाई की मार से आमलोग परेशान हैं। पिछले पांच साल में खाद्य पदार्थ, रसोई गैस, स्कूल फीस, पेट्रोल-डीजल से लेकर बिजली तक 15 से 30 फीसद तक महंगी हो चुकी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महंगाई की मार से आमलोग परेशान हैं। पिछले पांच साल में खाद्य पदार्थ, रसोई गैस, स्कूल फीस, पेट्रोल-डीजल से लेकर बिजली तक 15 से 30 फीसद तक महंगी हो चुकी है। हालात ये हैं कि महंगाई से आम व खास सभी तरह के परिवारों का खर्च भी इसी अनुसार बढ़ गया है। लोग अब बजट में कटौती कर अनावश्यक खर्च से बच रहे हैं। 2017-18 से अब तक बिजली में करीब चार रुपये का इजाफा हुआ है।
2018 में 3.50 रुपये प्रति यूनिट बिजली शहरी घरेलू ग्राहकों को मिलती थी। अभी सात रुपये यूनिट है। पहले 300 यूनिट खपत पर सब्सिडी थी, लेकिन अब वो भी बंद है। अखिल भारतीय विद्युत डिप्लोमा अभियंता संघ के राष्ट्रीय सलाहकार प्रमोद जायसवाल ने कहा, बिजली विभाग निजीकरण की ओर बढ़ रहा है। वहीं, इस अवधि में घरेलू रसोई गैस के दाम में 30 से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
2017 में 735 रुपये में मिलने वाला सिलिंडर आज 1120 रुपये में मिल रहा है। इसमें करीब 25 रुपये सब्सिडी है। पेट्रोल 2018 में 76.37 रुपये लीटर था, जो अभी 100 रुपये प्रति लीटर तक है। इसमें करीब 24 का इजाफा हुआ है। जबकि इस अवधि में डीजल की कीमत करीब 25 बढ़ी है। डीजल 71.65 रुपये से अब 95 रुपये लीटर हो गया है।
स्कूलों में मनमाने ढंग से बढ़ी फीस
मध्यम वर्गीय परिवार सर्वाधिक जिससे परेशान है, वह है निजी स्कूलों की फीस में बढ़ोतरी। पांच साल में इसमें मनमाने ढंग से बढ़ोतरी की गई है। रांची के सामान्य स्कूलों की बात करें तो 40 से अधिक फीस पिछले पांच साल में बढ़ी है। 2018 में जो फीस 2000 रुपये मासिक थी, वह अब 3500 से अधिक हो गई है। कोरोनाकाल के बाद से इसमें और भी उछाल आया है। बड़े स्कूलों में मासिक फीस 50 तक बढ़ी है।
दवा के दाम भी लोगों को रुला रहे
दवा के दाम भी 7 से 15 तक पांच साल में बढ़े हैं। दवा कारोबारियों के अनुसार बीपी और शुगर की दवा में सात से 10 तक उछाल आया है। किडनी, कार्डियो व न्यूरो से संबंधित बीमारियों की कीमत 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ी है। कारोबारियों ने बताया कि पहले चीन से रॉ मटेरियल आता था, जिसे कोरोना के दौरान बंद कर दिया गया था। इस कारण इसे अन्य देशों से मंगाना पड़ रहा था। इस कारण दाम में बढ़ोतरी हुई थी। जो बढ़ा ही रह गया।
क्या कहती हैं गृहणियां
भावना प्रिया ने कहा, 'बच्चों को स्कूल में पढ़ाना बड़ी चुनौती है। दोगुना से अधिक फीस बढ़ी है। बच्चों की पढ़ाई के लिए कई जरूरत की चीजों में कटौती कर रहे हैं। बस फीस भी बढ़ गई है। गैस की कीमत भी काफी बढ़ गई है। इस पर कंट्रोल होना चाहिए।'
शुभ्रा ने कहा, 'स्कूलों की फीस काफी महंगी हो गई है। कोरोना के बाद से स्कूल की पढ़ाई महंगी हो गई है। स्कूल की फीस देने के कारण बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन देने में कटौती करनी पड़ती है। गैस और खाद्य पदार्थों के दाम भी परेशान कर रहे हैं।'
उत्पाद 2017-18 में दर 2022 में दर
बिजली 3.50 रुपये प्रति यूनिट 7 रुपये प्रति यूनिट
रसोई गैस 735.50 रुपये 1110.50 रुपये
पेट्रोल 76.37 रुपये प्रति लीटर 99.84 रुपये प्रति लीटर
डीजल 71.65 रुपये प्रति लीटर 94.65 रुपये प्रति लीटर
स्कूल फीस 2000 रुपये मासिक 3500 रुपये मासिक
(आंकड़े सभी संबंधित एजेंसी-संघ से लिए गए हैं)