ईडी ने सीसीएल के 5 अफसरों व निजी कंपनी के निदेशकों पर दर्ज किया केस
ईडी ने चतरा की आम्रपाली कोल परियोजना से 83 करोड़ रुपए से अधिक के कोयला गायब होने के मामले में सीसीएल के पांच अफसरों पर एफआईआर दर्ज की है।
झारखण्ड: ईडी ने चतरा की आम्रपाली कोल परियोजना से 83 करोड़ रुपए से अधिक के कोयला गायब होने के मामले में सीसीएल के पांच अफसरों पर एफआईआर दर्ज की है। इसके साथ ही ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
सीबीआई की जांच में आए तथ्यों के आधार पर ईडी ने मनी लाउंड्रिंग के तहत यह मामला दर्ज किया है। जिन अफसरों को ईडी ने आरोपी बनाया है, उसमें प्रोजेक्ट अफसर दिलीप कुमार शर्मा, मैनेजर शंभू कुमार झा, सीनियर सर्वेयर उमेश कुमार सिंह, पंकज कुमार झा, चीफ मैनेजर माइनिंग निहार रंजन साव और मेसर्स एएमपीएल- एमआईपीएल- जीसीएल(जेवी) के निदेशक व अन्य शामिल हैं।
क्या है मामला : सीबीआई व सीसीएल के विजिलेंस को सूचना मिली थी कि आम्रपाली परियोजना में निकाले गए कोयले के स्टॉक में कमी है। सूचना के बाद सीबीआई और सीसीएल विजिलेंस ने एक साथ छापेमारी कर स्टॉक की जांच की। 30 अगस्त 2019 को की गई जांच में पाया गया कि कोयले का ओपनिंग बुक बैलेंस 1804004 मीट्रिक टन कोयला होना चाहिए था, लेकिन जांच में महज 928230 मीट्रिक टन कोयला ही मिला।कितने का हुआ नुकसान : साल 2019 के तब के कीमतों के अनुसार गायब कोयले से सीसीएल को तकरीबन 83 करोड़ 63 लाख 64 हजार 471 रुपये का नुकसान हुआ। हालांकि कोयले की बाजार मूल्य अब 100 करोड़ से अधिक की माना गया है। सीबीआई ने 17 अगस्त 2021 को इस मामले में सीसीएल के अफसरों व ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
सीबीआई की जांच में यह बात सामने आयी थी कि सीसीएल के अधिकारी लंबे समय से कोयले की चोरी में शामिल थे, इनके द्वारा कोल मेजरमेंट बुक में भी छेड़छाड़ की गई थी। सीसीएल के नियमों के मुताबिक, कोल मैनेजमेंट बुक की देखभाल व कोल स्टॉक की कमी का कारण भी सीसीएल के अफसरों को माना गया है। वहीं कोलकाता की ट्रांसपोर्टिंग कंपनी की भी जिम्मेदारी थी कि खनन के बाद कोयले को संबंधित कोल डंप तक पहुंचाते, साथ ही बाहर निकलने वाले कोयले के मेजरमेंट का भी ख्याल रखते।