चाईबासा के आमला टोला में 150 वर्षों से मनाया जा रहा है दुर्गोत्सव, पारंपरिक रीति-रिवाज से यहां होती है पूजा

चाईबासा के अमला टोला स्थित आदि दुर्गोत्सव आमला टोला सार्वजनिन पूजा समिति , चाईबासा 150 वर्ष से भी पुरानी दुर्गा पूजा समिति है.

Update: 2022-09-29 05:50 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाईबासा के अमला टोला स्थित आदि दुर्गोत्सव आमला टोला सार्वजनिन पूजा समिति , चाईबासा 150 वर्ष से भी पुरानी दुर्गा पूजा समिति है. पश्चिमी सिंहभूम जिले में सबसे पहले दुर्गापूजा उत्सव आमला टोला स्थित घोष परिवार ने 1870 में शुरू किया था. दो वर्षों के बाद रायबहादुर रत्नेश्वर राय तथा सरकार परिवार इस पूजा कमेटी में शामिल हुए. 1886 में एक कमेटी बनी, जिसमें अमला टोला के सभी भाषा-भाषी परिवार के लोग इस समिति के सदस्य बने. उन परिवारों की वंश परम्परा आज भी इस पूजा समिति में कायम है. पहले टीन के शेड में शुरू हुई, यह पूजा आज एक बड़ा भव्य रूप ले चुकी है. कभी मात्र तीन सौ रुपये यहां पूजा पर खर्च होता था और आज बजट पांच लाख रुपये से भी अधिक है. जो परंपरा 150 वर्ष पूर्व कायम की गई थी वह परंपरा आज भी कायम है.

पारंपरिक रीति-रिवाज से यहां होती है पूजा
यहां पारंपरिक रीति-रिवाजों से पूजा होती चली आ रही है. दुर्गा पूजा से शहर के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. पहले इस पूजा समिति में बलि देने की प्रथा थी, दशमी को मां दुर्गा के समक्ष बलि दी जाती थी, पर 1886 में इस समिति में मांगी लाल रूंगटा तथा मिश्री लाल जैन सहित अन्य प्रतिष्ठित परिवार शामिल हुए, तो सर्वसम्मति से बलि प्रथा को बंद कर दिया गया. पूजा के लिए मां दुर्गा के मूर्ति का निर्माण शुरूवाती दौर में शहर के कुम्हार टोली निवासी अम्बिका प्रजापति ने किया था. आज भी उन्ही लोगों के द्वारा यहां मूर्ति का निर्माण किया जाता है. यहां की खासियत यह है कि मां के चेहरे तथा अन्य देवी देवताओं का जो रूप उस समय दिया गया था, उसी आज भी वैसा ही रूप दिया जाता है. सभी देवी देवताओं को एक फ्रेम में रखा जाता है. इस पूजा समिति के अध्यक्ष शुरु से रुंगटा परिवार से ही रहे हैं. आज भी इस परम्परा को कायम रखा गया है. वर्तमान में उद्योगपति और समाजसेवी मुकुंद रुंगटा इस पूजा समिति के अध्यक्ष है, जबकि सचिव तपन कुमार मित्रा है. वहीं झारखंड राज्य के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर , प०सिंहभूम जिला बीस सूत्री सदस्य सह सांसद प्रतिनिधि त्रिशानु राय भी इस पूजा समिति से काफी वर्षों से जुड़े हुए है .
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