Dhanbad मृत कर्मियों के आश्रित को मुआवजा नहीं देगी एजेंसी
आश्रित को मुआवजा नहीं देगी एजेंसी
झारखण्ड बिजली विभाग के मानव दिवस कर्मियों (मैनडेज) यदि हादसे का शिकार होकर जान गंवाते हैं तो उनके आश्रित को मुआवजा और रोजगार की घोषणा एजेंसी की ओर से नहीं की गई है. विभाग की नई रॉयल एजेंसी ने जारी सेवा शर्त में इसका जिक्र तक नहीं किया है. इससे आक्रोशित 350 से अधिक मैनडेज कर्मी एजेंसी के खिलाफ आंदोलन करने की रणनीति बना रहे है. ऐसे में यदि मैनडेज कर्मी हड़ताल पर जाते हैं तो किसी प्रकार की खराबी आने पर बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि खराबी आने पर दूर करने में मैनडेजकर्मियों की अहम भूमिका होती है.
कर्मियों का कहना है कि समय पर एजेंसी मानदेय भुगतान भी नहीं कर रही है. तीन-चार महीने बीतने पर पर एक-दो महीने का भुगतान हो रहा है. मैनेडज कर्मियों का कहना है कि एजेंसी की ओर से ईएसआई का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन प्राथमिक उपचार खुद से कराना पड़ता है. इस संबंध में एजेंसी के संचालन प्रदीप कुमार से कई बार फोन किया गया लेकिन उन्होंने नहीं उठाया.
बिना किट पोल पर चढ़ रहे हैं मैनेडेज कर्मचारी
विद्युत मानव दिवस कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप दुबे ने कहा कि एजेंसी मनमानी पर उतर आई है. एजेंसी की ओर से ग्लव्स, हेलमेट, जूता समेत अन्य सामाग्री भी नहीं दी जा रही है. बगैर सुरक्षा किट पहने पोल व ट्रांसफॉर्मर पर मैनडेज चढ़ रहे हैं. इससे अक्सर करंट से लोग घायल भी हो रहे हैं. पिछले साल हीरापुर के एक मैनडेज कर्मी मोना झरनापाड़ा स्थित एक ट्रांसफॉर्मर में खराबी को दूर करने के लिए पोल पर चढ़ा था. बिजली आपूर्ति बाधित थी, इसके बावजूद करंट से उसकी मौके पर ही उसकी मौत हो गई. जांच में पता चला कि जेनरेटर व घरों में इनवर्टर के चलते करंट आया था, जिससे हादसा हुआ. तत्कालीन एजेंसी मेसर्स प्रमोद पंडित की ओर से तत्काल आश्रित को मुआवजा एवं रोजगार दिया गया था.