सीएम हेमंत ने 1932 का खतियान और ओबीसी आरक्षण के बहाने एक तीर से साधे कई निशाने

जिनके पास 1932 का खतियान, वहीं झारखंडी और ओबीसी को 27 % आरक्षण का प्रस्ताव कैबिनेट से पास करा सीएम हेमंत सोरेन ने एक तीर से कई निशाना साधा है.

Update: 2022-09-19 02:36 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जिनके पास 1932 का खतियान, वहीं झारखंडी और ओबीसी को 27 % आरक्षण का प्रस्ताव कैबिनेट से पास करा सीएम हेमंत सोरेन ने एक तीर से कई निशाना साधा है. राजनीतिक विश्लेषक इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं. कैबिनेट के दो महत्वपूर्ण फैसलों से हेमंत सोरेन ने एक ओर जहां अपने धुर विरोधी भाजपा की बोलती बंद कर उसे बैकफुट पर खड़ा कर दिया, वहीं आजसू को भी गहरे जख्म दे दिए. सच कहा जाए, तो वर्तमान में जो हालात हैं, उसमें 1932 के खतियान और ओबीसी आरक्षण के बहाने राजनीति चमकाने वालों को चारों खाने चित्त कर दिया. वहीं अपनी पार्टी के ही उन बगावती नेताओं को भी सबक सिखा दिया, जो 1932 के खतियान के बहाने उनसे खुन्नस निकाल रहे थे. अब झामुमो के बगावती नेता भी हेमंत जिंदाबाद के नारे बुलंद कर रहे हैं. हेमंत का तीर निशाने पर लगा है और सबसे ज्यादा बेचैन भाजपा है. भाजपा नए मुद्दे की तलाश के लिए मंथन कर रही, वहीं आजसू के भी पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि जिन दो मुद्दों को लेकर पार्टी अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिश में लगी थी, हेमंत ने अपने राजनीतिक तीर से उन्हें बेध कर हवा ही निकाल दी है.

कांग्रेस को भी लगी है चोट, न हंस पा रही और न रो पा रही
कभी झारखंड में आदिवासी, ईसाई और मुस्लिम कांग्रेस का साथ दिया करते थे. इसके अलावा शहरी क्षेत्र के मतदाता (बाहरी) भी कांग्रेस के साथ हुआ करते थे. लेकिन जिन बाहरी मतदाताओं पर कांग्रेस को भरोसा हुआ करता था, उसमें भाजपा ने अर्से पहले सेंधमारी कर ली है. आदिवासी झामुमो के साथ हो लिए, क्योंकि कांग्रेस के पास अब कोई दमदार आदिवासी नेता भी नहीं रहा. रही बात ईसाई और मुस्लिम आबादी की, तो वे भी झामुमो के साथ हो चले हैं. अब हेमंत ने 1932 का खतियान और ओबीसी आरक्षण के मामले में बाजी मारकर कांग्रेस को भी गहरा जख्म दिया है. कांग्रेस की हालत यह है कि वह न तो खुल कर हंस पा रही है और न ही रो पा रही है. कांग्रेस के गैर आदिवासी विधायकों की हालत तो और पतली हो गयी है. दरअसल, झामुमो अपने सहयोगी कांग्रेस के लिए स्वीट प्वाइजन हो गया है.
हेमंत के कई फैसलों से कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में लगी है सेंध
हेमंत सोरेन द्वारा पूर्व में लिए गए पहले के कई फैसलों से कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक उससे छिटकते चले गए हैं. गुमला में पत्थलगड़ी मामले के दर्ज केस वापस लेने का फैसला, नेतरहाट फायरिंग रेंज के 30 साल पुराने विवाद को खत्म करना, आदिवासियों को लीक से हटकर बैंकों से लोन दिलाने की पहल, 117 मदरसों के 425 शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के रूके अनुदान देने के फैसले से झामुमो ने कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी कर दी है.
1932 के खतियान और ओबीसी आरक्षण के आजसू के मुद्दे की हवा निकाली
आजसू पार्टी 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे को लेकर राजनीति चमका रही थी. लेकिन हेमंत ने अपने तरकश से ऐसा तीर निशाने पर साधा कि आजसू का मुद्दे पंक्चर हो गया.

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झामुमो में ही बगावत का बिगुल फूंक चुके विधायक लोबिन हेंब्रम दरअसल सीएम हेमंत सोरेन से कई मुद्दों पर खार खाए बैठे थे. लेकिन खुन्नस निकालने के लिए 1932 के खतियान को मुद्दा बनाकर झारखंड बचाओ मोर्चा का गठन कर हेमंत को भला-बुरा कह रहे थे. सभाओं में उन्हें कोस रहे थे. लेकिन हेमंत ने अपने स्टैंड से लोबिन को ऐसी लंघी मारी कि लोबिन के सुर ही बदल गए. अब लगे गुणगान करने, कहने लगे हेमंत सोरेन जिंदाबाद. सच कहा जाए तो हेमंत ने लोबिन के बगावती तेवर की हवा ही निकाल दी.
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