बच्चे खुद बनाते हैं इस सरकारी स्कूल में मिड-डे मील, भारी बर्तन उठाने से कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

महुआडांड़ प्रखंड के बेलवार गांव के मध्य विद्यालय में बच्चों को खुद ही अपना मिड-डे मील बनाना पड़ता है।

Update: 2022-08-03 01:56 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महुआडांड़ प्रखंड के बेलवार गांव के मध्य विद्यालय में बच्चों को खुद ही अपना मिड-डे मील बनाना पड़ता है। छोटे-छोटे बच्चे भोजन के बड़े-बड़े बर्तन उठाते हैं जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। इस स्कूल में एकमात्र शिक्षक के जिम्मे 53 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

बच्चों ने मंगलवार को बताया कि उनके एकमात्र शिक्षक कभी विद्यालय आते हैं तो कभी नहीं। बच्चों से जब पूछा गया कि वे खाना क्यों बना रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह तो रोज ही होता है। छात्र सोनू नगेसिया, अनिता कुमारी, संजना, आकाश नगेसिया ने बताया कि वे रोज ही स्कूल में मिड-डे मील खुद बनाते हैं। बच्चों ने बताया कि रसोइया कभी-कभी ही आती हैं।
सोहर पंचायत का बेलवार गांव अति नक्सल प्रभावित, पिछड़ा और आदिवासी बहुल गांव है। यहां के ग्रामीण अपने बच्चों का नामांकन प्राइवेट स्कूल में नहीं करा सकते हैं।
एक बच्चे की अभिभावक रंजीता देवी ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है। शिक्षक भी रोज स्कूल नहीं आते हैं,न ही बच्चों को मेन्यू के अनुसार भोजन दिया जाता है। बच्चे ही अपना भोजन तैयार करते हैं और दाल-भात खाकर लौट जाते हैं। एक अन्य अभिभावक जैमंती देवी ने कहा कि जिस दिन मास्टर नहीं रहते उस दिन मिड-डे मील भी नही बनता है। इसलिए अब बच्चे भी स्कूल आना छोड़ दिए हैं। मंगलवार को विद्यालय में मात्र 15 बच्चे ही आए थे जबकि नामांकन 53 बच्चों का है।
इस संबंध में पारा शिक्षक विजय कुमार बारा ने बताया कि वह 2008 से नियुक्त हैं। 2 वर्ष पूर्व विद्यालय में एक सरकारी शिक्षिका भी थीं। उनका प्रतिनियोजन अन्यत्र हो गया है।
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