चाईबासा : जिले में 60 प्रतिशत धान की खेती बर्बाद, किसानों को वैकल्पिक कृषि करने पर जोर दे रहा विभाग

पश्चिम सिंहभूम जिले में धान की 60 प्रतिशत खेती बर्बाद हो गई है. हालांकि खेतों में धान लगे हुए हैं.

Update: 2022-08-24 04:39 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पश्चिम सिंहभूम जिले में धान की 60 प्रतिशत खेती बर्बाद हो गई है. हालांकि खेतों में धान लगे हुए हैं. पर उत्पादकता कितनी होगी तय नहीं. जो 40 प्रतिशत भूमि है उसी भूमि से धान की फसल का उत्पाद प्राप्त करने की संभावना है. जबकि ऊंची या मध्यम भूमि वाले जमीन पर लगाए गए धान के फसल से अब उत्पादकता कितनी होगी स्पष्ट नहीं है. कृषि विभाग के अनुसार धान के फसलों को पानी की आवश्यकता थी तब ,पानी नहीं हो पाया. इस कारण फसल ठीक से नहीं हो पाया. खेत में खड़ी फसलों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाया इसका प्रभाव यह हुआ कि खेतों में लगी फसल उत्पादन देने में असमर्थ है. जिला कृषि पदाधिकारी काली पद महतो ने बताया कि धान की अनुमानित 60 प्रतिशत फसल पानी के अभाव में खराब हो गई है. जबकि निचली भूमि जिसका रकबा एक जिले में 36000 हेक्टेयर है उसी में धान की फसल होने की स्थिति है.

किसानों को वैकल्पिक कृषि पर जोर
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग के द्वारा किसानों को खरीद खेती से हानि ना हो इसके लिए वैकल्पिक कृषि पर जोर दिया जा रहा है. किसानों को विभाग के द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान पर सब्जी के बीज उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है. इसके तहत किसानों को बीज देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. साथ ही किसानों को झारखंड फसल राहत बीमा के तहत अपना पंजीकरण कराने का सुझाव दिया गया है. किसान अपना पंजीकरण अवश्य कराएं ताकि उनके फसल का आकलन करने के उपरांत उन्हें प्रति हेक्टेयर ₹4000 क्षतिपूर्ति भुगतान के रूप में भुगतान किया जा सके. इसके अलावा जो कृषक पीएम कृषि सम्मान योजना से जुड़े हुए हैं वह अपने कागजातों को अपडेट कर ले ताकि उनके खाते में पैसे जाने में समस्या नहीं हो. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि धान का फसल खराब हुआ है,प र मकई तिलहन दलहन आदि की फसलें ठीक है इनका उत्पादन भी अच्छा होगा.
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