वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 130 लाख एमएसएमई को इमरजेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी (ईसीएलजीएस) योजना के तहत अतिरिक्त कर्ज देने की बात कही है। ईसीएलजीएस को मार्च 2023 तक बढ़ाया जाएगा। इस गारंटी कवर को 50 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर पांच लाख करोड़ किया जाएगा। वहीं सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के तहत दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त एसिलेरेटिया एमएसएमई परफॉरमेंस कार्यक्रम में छह हजार करोड़ रुपये दिया है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 और इज ऑफ लिविंग के दूसरे चरण का लाभ झारखंड हासिल कर सकेगा। केंद्र सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर भी ध्यान जोर है। इससे बिजली, उद्योग आदि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। झारखंड में बिजली के क्षेत्र में लाइन लॉस (एटीएंडसी) हानि जो लगभग 40 प्रतिशत पहुंचती है। इसे कम करने के लिये संसाधनों का विकास किया जाना है। इस क्षेत्र में निवेश बढ़ने पर एटीएंडसी हानि को कम किया जा सकेगा। निवेश बढ़ने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। प्री-पेड मीटर, अंडरग्राउंड केबिलिंग, एबी केबिल, ट्रांसफार्मरों की संख्या बढ़ाने, जर्जर तार बदलने, ट्रांसफार्मरों पर मीटर लगाने आदि काम होंगे।
जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार ने सौर ऊर्जा के विकास के लिये कुसुम योजनायें शुरू की है। झारखंड में 300 दिन धूप खिलती है और बंजर भूमि काफी होने के कारण सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विकास की काफी संभावनायें है। लेकिन, इन योजनाओं को क्रियांवित करने में किसानों के पास धन का अभाव बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। एक मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिये करीब चार करोड़ रुपये की लागत आती है। बैंक और केंद्रीय मदद के बावजूद किसानों को करीब एक करोड़ रुपये की जरूरत पड़ रही है। यह राशि जुटाना बंजर भूमि के स्वामित्व वाले किसानों के लिये मुश्किल हो रहा है।
राज्य में धान अधिप्राप्ति बढ़ेगी
केंद्रीय बजट के मुताबिक गेंहू और धान की खरीद के लिये 1.63 करोड़ किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपये का सीधा भुगतान होगा। इसका लाभ झारखंड को भी मिलेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को ही कृषि विभाग को अगले तीन वर्षों में 20 लाख मीट्रिक टन धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य दिया है। नेशनल टेलीमेंटल हेल्थ कार्यक्रम की झारखंड में काफी संभावनायें है। प्री-बजट 2022-23 के लिये आयोजित गोष्ठी में राज्य सरकार को विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र में विकास के लिये विशेष बजट प्रावधान का सुझाव दिया है। बताया गया कि मौजूदा दौर में इसकी जरूरत बढ़ी है।
सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 शुरू होने से राज्य की महिलाएं और बच्चों को लाभ मिलेगा। कुपोषण झारखंड के लिये बड़ी समस्या है। राज्य में आंगनवाड़ी केंद्रों की अहम भूमिका रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हजार दिनों का समर योजना भी शुरू किया है। राज्य के दुर्गम और पिछड़े जिलों को भी स्वास्थ्य पोषण के क्षेत्र में मदद मिलती रहेगी।