कोसों दूर गुमला के गांव में आज तक नहीं पहुंची मूलभूत सुविधाएं

Update: 2023-08-21 09:01 GMT
झारखण्ड:  गुमला के कई गांव में विकास की बात तो दूर आज तक सही रूप से लोगों तक मूलभूत सुविधा भी नहीं पुहंची है. आम लोगों को जहां आज भी विकास का इंतजार है तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य में विकास के नाम पर लूट का आरोप लगाया है. गुमला के आदिवासी बाहुल इलाके के विकास के लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकार काफी राशि उपलब्ध कराती है, लेकिन गांव में विकास तो कोसों दूर है. यहां के लोगों तक अभी तक मूलभूत सुविधा भी नहीं पहुंची है. गुमला जिले में नौ सौ से अधिक गांव हैं, जिसके अधिकांश गांवों में आज तक बिजली और पानी की सुविधा नहीं पहुंची है. लोगों को स्वास्थ्य की सुविधा के लिए भी कोसों दूर शहर में जाना पड़ता है.
प्रशासन पर विकास के नाम पर लूट का लग रहा आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि इलाके के सांसद सुदर्शन भगत हों या फिर विधायक, ये जनप्रतिनिधि भी विकास को लेकर गंभीर नजर नहीं आते. आज भी गांव में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. जिसे वो कुछ इस तरह से बयां भी कर रहे हैं. वहीं, लंबे समय से इलाके को नजदीक से देखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिले के गांव तक विकास नहीं पहुंच पा रहा. गांव का विकास केवल फाइलों में ही सिमट कर रह गया है. खासकर तब ज्यादा खलता है. जब बारिश के दिनों में ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. देश की आजादी के 75 साल और झारखंड को अलग राज्य बने 23 साल के बाद भी गांव की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. जबकि यहां के बीजेपी के सांसद सुदर्शन भगत हैं और जेएमएम के यहां से तीन विधायक हैं.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लगाया है आरोप
वहीं, बीजेपी के राज्यसभा सांसद समीर उरांव से जब इस क्षेत्र के पिछड़ेपन की बात पूछी गई तो उन्होंने यहां के पिछड़ेपन के लिए हेमंत सरकार को जिम्मेदार ठहराया. साथ ही जो कुछ भी विकास हुआ उसकी क्रेडिट केंद्र सरकार को दी और राज्य में बीजेपी की सरकार आने पर इलाके की पूरी तस्वीर बदलने का दावा भी किया. हालांकि राज्य में विकास का मौका सभी राजनीतिक दलों को मिला है, लेकिन वास्तविक विकास की सोच किसी दल में नहीं दिखाई दी है. जिसका परिणाम ये है कि सिर्फ गुमला ही नहीं बल्कि राज्य के सभी जिलों के गांव की स्थिति कमोबेश एक जैसी ही है.
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