छह साल बाद अंजू की मौत की खुली फाइल

Update: 2023-04-06 07:30 GMT

धनबाद न्यूज़: प्रसूता अंजू देवी मौत प्रकरण की जांच एक बार फिर शुरू हो गई है. फरवरी 2017 में सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला होश में नहीं आई थी और 14 दिन बाद बेहोशी की हालत में उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद परिजनों ने एनेस्थीसिया की ओवरडोज का आरोप लगाया था. छह साल बाद उसकी मौत की वजह जानने के लिए एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक डॉ एके बरनवाल ने तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों का बोर्ड बनाया है.

इस बोर्ड में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ यूके ओझा, गायनी की विभागाध्यक्ष डॉ राजलक्ष्मी तुबिद और एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ सीडी राम शामिल हैं. यह बोर्ड बैठेगा और मामले की जांच करेगा.

यह है मामला मुनीडीह निवासी नारायण कुमार साव की 20 वर्षीया पत्नी अंजू देवी प्रसव के लिए 15 फरवरी 2017 को एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराई गई थी. सर्जरी से प्रसव कराया गया. सर्जरी के बाद महिला को होश नहीं आया. इस पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा भी किया था. स्थिति में सुधार होता नहीं देख 20 फरवरी को उसे एसएनएमएमसीएच से रिम्स रांची रेफर कर दिया गया था. इसके बाद परिजन महिला को लेकर दुर्गापुर गए थे. परिजनों का कहना है कि उसके इलाज पर लगभग ढाई लाख रुपए खर्च किए. बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. इसके बाद मरीज को वापस एसएनएमएमसीएच लाया गया था. यहां 27 फरवरी को उसकी मौत हो गई थी.

ओटी असिस्टेंट पर एनेस्थीसिया देने का आरोप: अंजू के परिजनों ने आरोप लगाया गया था कि सर्जरी के दौरान ऑपरेशन थिएटर में एनेस्थीसिया के डॉक्टर नहीं थे. किसी ओटी असिस्टेंट ने मनोज एनेस्थीसिया दिया था. उसने एनेस्थीसिया की ओवरडोज दी, जिसके कारण मरीज को होश नहीं आया और उसकी मौत हो गई. मामले की शिकायत मुख्यमंत्री जनसंवाद में भी की गई थी. वहीं डॉक्टरों का कहना था कि यह ड्रग रिएक्शन का मामला था न कि एनेस्थीसिया की ओवरडोज का. डॉक्टरों ने अपना काम सही से किया था.

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