800 किलोमीटर का सफर तय कर झारखंड पंहुचती है प्रवासी पक्षी, प्रतिबंध के बावजूद होता है शिकार
ठंड के मौसम शुरू होते ही विदेशी मेहमानों के लिए आदर्श स्थल झारखंड बन जाता है. झारखंड में सर्दी की दस्तक के साथ ही हजारों प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है.
जनता से रिश्ता। ठंड के मौसम शुरू होते ही विदेशी मेहमानों के लिए आदर्श स्थल झारखंड बन जाता है. झारखंड में सर्दी की दस्तक के साथ ही हजारों प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है. हजारों किलोमीटर सफर तय कर झारखंड के पलामू के साथ साथ विभिन्न इलाकों में पहुंचते हैं और तीन महीने तक अपना बसेरा यहीं बनाते है.यह भी पढ़ेंःदेवघर में विदेशी मेहमानों की अटखेलियां, अनुकूल वातावरण और मौजूद वनस्पति के लिए पहुंचते हैं साइबेरियन पक्षीप्रवासी पक्षी का जिक्र होने पर अमूमन साइबेरियन क्रेट और उसकी प्रजाति का जिक्र होता है, लेकिन एक नन्ही पक्षी भी है, जो लार्क परिवार का है. इसका वैज्ञानिक नाम Ashy crowned sparrow lark है. झारखंड और स्थानीय भाषा में इस पक्षी को बगेरी कहते है, जो गौरैया पक्षी की तरह दिखता है. ठंड के दौरान यह लार्क यानी बगेरी पक्षी तिब्बत और यूरोपियन देशों से बड़ी संख्या में झारखंड आते हैं, जिसका पलामू टाइगर रिजर्व के साथ साथ गढ़वा के इलाके में जमावड़ा लगता था. अब बगेरी विलुप्त के कगार पर है. सरकार ने बगेरी की शिकार पर प्रतिबंध लगा रखा है. इसके बावजूद बड़े पैमाने पर इनका शिकार किया जाता है.