होली के बाद झारखंड विधानसभा का बजट सत्र आज से हो रहा शुरू, जानें- कब क्या होगा सदन में
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र अंतिम चरण में पहुंच चुका है। होली छुट्टी के बाद माननीय आज फिर से सदन में जुटेंगे।
फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड विधानसभा का बजट सत्र अंतिम चरण में पहुंच चुका है। होली छुट्टी के बाद माननीय आज फिर से सदन में जुटेंगे। सामान्य प्रश्नकाल के साथ मुख्यमंत्री प्रश्नकाल होगा। भोजनावकाश के बाद विभागीय बजट पर चर्चा होगी।
बुधवार को विनियोग विधेयक पारित होगा। उसी दिन शेष सभी विभागों के बजट गिलोटीन से पास होंगे। गुरुवार को सामान्य प्रश्नकाल के बाद सरकारी कामकाज के रूप में विधेयक पेश किए जाएंगे। विधेयक ज्यादा होंगे तो शुक्रवार को भी पेश होंगे। आखिरी दिन गैरसरकारी संकल्प लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री और स्पीकर के समापन भाषण के साथ बजट सत्र का समापन हो जायेगा।
खूब हुए काम
लंबे अतराल के बाद झारखंड विधानसभा का कोई सत्र सुचारू रूप से चला। विपक्ष ने सदन के अंदर ही रहकर सरकार को घेरने और उसकी खामियों को उजागर करने की नई रणनीति अपनाकर संसदीय व्यवस्था को खासा बल दिया। प्रश्नोत्तर काम और ध्यानाकर्षण के प्रस्ताव लिए गए। आरंभ के दो घंटे जनता का समय होता है और इन दो घंटों में खूब काम हुए। विपक्ष ने सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया। कई बार जरूरत पड़ने पर सदन के अंदर विभिन्न मुद्दों पर जोरदार विरोध भी किया। बजट चर्चा में भाग लेकर मत विभाजन के पहले सदन का बहिष्कार कर निकल जाना भी सरकार की नीतियों का विरोध है।
एक बार फिर बिना नेता प्रतिपक्ष के गुजर जायेगा सत्र
यह सत्र भी एक बार फिर बिना नेता प्रतिपक्ष के ही गुजर जायेगा। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली ही रह गयी। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। सत्र के आरंभ में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने इसे लेकर विरोध दर्ज करा दिया था। वैसे कुल मिलाकर विधानसभा का बजट सत्र सार्थक रहा। विपक्ष ने भी इसका भरपूर उपयोग किया।
बजट सत्र कई मायनों में महत्वपूर्ण
विधानसभा का वर्तमान बजट सत्र कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जायेगा। इस बार पूरे सत्र के दौरान चार दिन मुख्यमंत्री प्रश्नकाल हुआ। विधायकों ने नीतिगत सवाल पूछे। लेकिन इसी सत्र में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को विलोपित करने का प्रस्ताव भी सदन में आया। विधायकों से इस पर राय भी मांगी गयी है। इसी सत्र में चार विधायकों ने एक नये मोर्चा का गठन किया है। सदन के अंदर एकजुटता बनाने और सत्ता पक्ष-विपक्ष पर दबाव बनाने की यह रणनीति है। इस सत्र में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी कई मुद्दों पर अपनी सरकार के मंत्रियों को सदन में घेरने की पुरजोर कोशिश की। मंत्रियों के बीच भी समन्वय की कमी देखी गयी। सत्र में कार्य स्थगन प्रस्ताव का संसदीय प्रभाव बेअसर दिखा।