आदित्यपुर : एआईडीएसओ ने रैली निकाल कर महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ प्रतिवाद दिवस की शुरुआत की

एआईडीएसओ ने गुरुवार की सुबह प्रभात रैली निकाल छात्राओं एवं महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ राज्य स्तरीय प्रतिवाद दिवस की शुरुआत की है. य

Update: 2022-09-01 04:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  एआईडीएसओ (ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन) ने गुरुवार की सुबह प्रभात रैली निकाल छात्राओं एवं महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ राज्य स्तरीय प्रतिवाद दिवस की शुरुआत की है. यह अभियान ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन की राज्य कमेटी के आह्वान पर व ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक युथ ऑर्गेनाइजेशन और ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन के संयुक्त तत्वाधान में शुरू किया गया है. जो आज दिनभर चलेगा. इसके तहत आकाशवाणी चौक पर दुमका की अंकिता सिंह के हत्यारे एवं दिन प्रतिदिन छात्राओं एवं महिलाओं पर बढ़ते अपराध के दोषियों को उदाहरणमूलक सजा देने की मांग पर प्रतिवाद दिवस मनाने की शुरुआत की गई.

दोषीयों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर सजा होनी चाहीए- अमन
संगठन ने आकशवाणी चौक से शेरे पंजाब चौक तक आक्रोश मार्च निकाला और आकाशवाणी चौक में एक नुक्कड़ सभा की. नुक्कड़ सभा में एआईडीएसओ के अमन सिंह ने कहा कि दुमका में पेट्रोल छिड़ककर युवती को जला दीया गया. जिंदगी के जंग लड़ते लड़ते 28 अगस्त को अंकिता ने दम तोड़ दीया. अंकिता सिंह के हत्यारे को अविलंब फांसी की सजा देनी चाहिए. तथा गुमला की बेटी सुनीता खाखा को रांची में रिटायर्ड आइएएस की पत्नी सीमा पात्रा के द्वारा शारीरिक शोषण, मानसिक प्रताड़ित किया गया. सुनीता खाखा हॉस्पिटल में एडमिट है. जिंदगी और मौत से लड़ रही हैं. इस तरह की जघन्यतम घटना की जितनी भी निंदा की जाय वह कम है. इसतरह की घटना के दोषी अपराधी को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर कठोर से कठोर सज़ा देनी होगी.
इस प्रकार की घटनाओं का प्रतिकार होना चाहिए – पार्षद
पुलिस प्रशासन ने जिस प्रकार से पूरे मामले में लापरवाही बरती है, इसकी अविलंब जांच करके दोषी पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्यवाई की जाय. ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन की राज्य उपाध्यक्ष सह पार्षद वार्ड 32 की मालती देवी ने कहा कि हमें इस तरह की जघन्य घटनाओं की तह तक पहुंचना चाहिए, जिस प्रकार से इस पूंजीवादी समाज में भोगवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, समाज में नीतिहीनता, नशाखोरी, अश्लीलता, मोबाइल पोर्नोग्राफी, खुदगर्जी बढ़ रही है. नारी भोग्य वस्तु में तब्दील होती जा रही है, उसका विषैला प्रभाव युवावर्ग पर पड़ रहा है. सरकार और पूरा तंत्र इस संस्कृति को रोकना तो दूर की बात, इसे बढ़ावा दे रही है. वर्तमान घटना इसी का नतीजा है. परंतु आश्चर्यजनक रूप से इसे सांप्रदायिक रंग में रंगकर एक उन्माद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है जिसे अविलंब रोकने की आवश्यकता है. राज्य और देश के तमाम जनवाद पसंद और शुभ सोच रखने वाले लोगों को इस सामाजिक संकट के समाधान के लिए एकजुट होकर पहल करनी होगी. ना केवल दुमका बल्कि चतरा गुमला चाईबासा या अन्य किसी भी स्थल में इस प्रकार की घटनाओं का पुरजोर प्रतिकार होना चाहिए. कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से मौसूमी मित्रा, सुशांत सरकार, अंजना भारती, विशाल कुमार, रूपा सरकार, लकी कांत पातर, सुनयना देवी, सावित्री गिरी, बिपा मुंडरी, संदीप, संतोष प्रसाद, स्वाति कुमार, शिवेंद्र शास्त्री, अवधेश सिंह, पूर्णिमा, पायल, निशा, मुस्कान, अंबिका, अनामिका, पालकी, नंदिनी दास, नारायण गिरी, दीपक कुमार और विष्णु देव गिरी के अलावा भारी संख्या में छात्र, नौजवान तथा महिलाएं शामिल थीं.
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