झारखंड में मनरेगा में 54 करोड़ रुपए का घोटाला आया सामने, ऐसे हुआ खुलासा, केन्द्र सरकार ने दिए ये निर्देश

झारखंड में मनरेगा में 54 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। कुआं, तालाब और सड़क का निर्माण हुआ भी नहीं और उसकी राशि की निकासी कर ली गई।

Update: 2022-01-12 05:14 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में मनरेगा में 54 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। कुआं, तालाब और सड़क का निर्माण हुआ भी नहीं और उसकी राशि की निकासी कर ली गई। वहीं, कई जगहों पर काम हुआ, लेकिन वहां उसका भुगतान ही नहीं किया गया। इसका खुलासा मनरेगा के सोशल ऑडिट में हुआ है।

सोशल ऑडिट के आधार पर ग्रामीण विकास विभाग ने कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके लिए राशि की वसूली की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। इस घोटाले का असर केंद्र तक दिखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार ने इस घोटाले की राशि वसूली नहीं होने तक मनरेगा की अगली किस्त की राशि देने से इनकार कर दिया है। मनरेगा से संबंधित योजनाओं की सोशल ऑडिट की रिपोर्ट पर कार्रवाई शुरू की गई है।
94 हजार चिन्हित मुद्दों पर जनसुनवाई का निर्देश
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन के निर्देश पर राज्य के 94,000 चिन्हित मुद्दों पर विभिन्न स्तरों पर जनसुनवाई करने और उसी अनुरूप कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। इसी आधार पर वित्तीय अनियमितता के 54 करोड़ राशि की भी वसूली की जाए। हालांकि अभी तक इसमें से दो प्रतिशत मामलों का निष्पादन हो चुका है, लेकिन इसकी गति बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। इन मामलों को अगले चरण की ग्राम सभा में समुदाय की जानकारी रखा जाएगा और इस पर कार्रवाई हो सकेगी। राज्य के सभी जिलों में कार्रवाई रिपोर्ट के लिए समीक्षा समिति की बैठके आयोजित की गयी है। कार्रवाई के अनुरूप साक्ष्यों का मिलान कर उसे नरेगा सॉफ्ट-ई में अपलोड भी किया जा रहा है, ताकि कार्य प्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे और लाभुक आसानी से देख सके कि किस मुद्दे पर क्या कार्रवाी की गयी है।
यह है स्थिति
कुआं, तालाब, सड़क का निर्माण हुआ नहीं और उठ गया पैसा
कई जगहों पर काम हुआ पर नहीं मिली मजदूरी
केंद्र सरकार ने भी दिया अल्टीमेटम
जब तक अनियमितता नहीं करेंगे दूर, केंद्र से नहीं मिलेगी राशि
एटीआर प्रोटोकॉल बनाने वाला झारखंड पहला राज्य
झारखंड एटीआर प्रोटोकॉल बनाने वाला एकमात्र राज्य है। झारखंड देश में एक मात्र राज्य है जहां मुद्दों को निष्पादित करने की जिम्मेवारी समुदाय के सदस्यों को दी गयी है। इस समिति में एक मजदूर मंच के प्रतिनिधि, एक महिला समूह की सदस्य, एक नगर समाज प्रतिनिधि और तकनीकी सहायता के लिए दूसरे जिले के सोशल ऑडिट यूनिट के जिला स्रोत व्यक्ति और राज्य से एक सदस्य नामित किये गए हैं, ताकि इस प्रक्रिया में निष्पक्षता रहे।
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