सैलाब में देवदूत बनी सेना, जवानों ने मलबे से पांच लोगों को जिंदा निकाला, बचाव अभियान जारी
अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की घटना की चपेट में आए 16 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की घटना की चपेट में आए 16 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। शनिवार को लोअर संगम से सोलहवां शव बरामद किया गया। मृतकों में पांच की पहचान हो गई है। इनमें तीन राजस्थान और दो दिल्ली के थे। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मलबे में दबे पांच लोगों को थ्रू वॉल रडार की मदद से जिंदा निकाल लिया गया। रडार कंपन से जमीन के नीचे की स्थिति का पता लगाता है। 40 से अधिक यात्री अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इस बीच बचाव कार्य में भारतीय वायु सेना भी जुट गई है।
शुक्रवार शाम से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में शनिवार तड़के करीब चार बजे तक 15 हजार यात्रियों को पवित्र गुफा के आसपास और यात्रा मार्ग से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। शनिवार को 63 घायलों समेत 109 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। सात शव भी हेलिकॉप्टर से लाए गए। एयरफोर्स के चार एमआई-17 वी5 और चार चीतल हेलिकॉप्टर से 65 उड़ानें भरी गईं। शनिवार को पारंपरिक बालटाल और पहलगाम रूट से किसी भी यात्री को जाने की अनुमति नहीं दी गई।
इसी बीच कड़ी सुरक्षा के साथ आधार शिविर भगवती नगर जम्मू से 6047 श्रद्धालुओं का जत्था रवाना किया गया। रविवार को भी पवित्र गुफा के आसपास लापता यात्रियों की खोज के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाएगा।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में माउंटेन रेस्क्यू टीमें और लुकआउट पेट्रोलिंग पार्टी के जवान थ्रू वॉल रडार, थर्मल इमेजर, नाइट विजन उपकरणों से लापता लोगों की तलाश में लगे हैं। सेना के हेलिकॉप्टर से घायलों को अस्पताल शिफ्ट किया जा रहा है। कुछ टीमों को यात्रा मार्ग पूरी तरह से बहाल करने के लिए लगाया गया है। बालटाल में 6 हजार से अधिक यात्री रुके हुए हैं।
इसी तरह नुनवान पहलगाम आधार शिविर पर भी हजारों श्रद्धालुओं का जमावड़ा है। जिन यात्रियों को पवित्र गुफा से सुरक्षित निकाला गया है उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। घायलों को उचित इलाज दिया जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि लापता लोगों की संख्या 40 से कहीं अधिक है, लेकिन संभव है इन लापता लोगों के मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो गई हो। आरएफआईडी कार्ड से इन यात्रियों की तलाश की जा रही है।
मृतकों की पहचान
मोहन लाल बधहावा और सुनीता बधहावा दोनों निवासी गंगानगर राजस्थान, वी रमति (62) निवासी आंबेडकर नगर मदनजीर, साउथ दिल्ली, प्रकाशी (57) निवासी मदनजीर आंबेडकर नगर और सुशील खत्री निवासी राजस्थान ए-1 मानसरोवर श्रीगंगानगर
छह फुट तक जमा है मलबा
अमरनाथ गुफा के ऊपर से आया पानी अपने साथ मिट्टी और पत्थर भी लाया। इससे नाले के पास छह फुट तक मलबा जमा हो गया है। बताया जा रहा है कि मलबे ने ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। ज्यादा लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई है। लापता लोगों की खोज में भी यही मलबा बाधा बन रहा है।
दूर तक फैले हैं तबाही के निशान
बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के पास बादल फटने से मची तबाही के मंजर के निशान शनिवार को दूसरे दिन भी साफ-साफ दूर-दूर तक फैले हुए नजर आ रहे हैं। हर ओर बडे़-बड़े पत्थर के टुकड़े और चट्टान, यात्रियों के बैग, फोन, टेंट वालों के शामियाने व लंगर वालों का सामान इधर-उधर फैला हुआ है। यूं तो बचाव कार्य घटना के फौरन बाद शुरू कर दिया गया था, लेकिन शनिवार को सेना, बीएसएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत सभी अर्द्धसैनिक बलों के जवान सुबह चार बजे से ही दोबारा बचाव अभियान में जुट गए।
स्थानीय स्तर पर अत्यधिक बारिश से बाढ़ आई, पवित्र गुफा में बादल नहीं फटा : आईएमडी
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा के पास अत्यधिक स्थानीय बारिश से बाढ़ की स्थिति बनी, जबकि वहां बादल फटने की कोई घटना रिकार्ड नहीं हुई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मंदिर के आसपास शुक्रवार की शाम 4.30 बजे से 6.30 बजे के बीच 31 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो काफी कम है और बादल फटने की श्रेणी में नहीं आती है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि तेज बारिश की घटना को बादल फटने के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यदि एक घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश होती है तो उसे बादल फटना कहा जाता है। अमरनाथ गुफा के पास आईएमडी का एक स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित है जो तीर्थ यात्रा के दौरान मौसम का पूर्वानुमान प्रदान करता है। हालांकि आसपास के पहाड़ों में मौसम की निगरानी के लिए कोई स्टेशन नहीं है। यह घटना केवल पवित्र गुफा के ऊपर एक अत्यधिक स्थानीयकृत बादल था जिसने तेज बारिश की।
मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के निदेशक सोनम लोट्स ने बताया कि इस साल की शुरुआत में भी अमरनाथ गुफा के ऊपर क्षेत्र में 28 मिमी बारिश हुई थी। बादल फटने की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल रहता है। ऐसे पूर्वानुमान मौसम की जानकारी के लिए अत्याधुनिक मौसम उपकरण चाहिए होते हैं। वहीं, मौसम विज्ञान 2-3 घंटे की यात्रा रूट की पूर्वानुमान जानकारी जारी कर रहा है, जिससे यात्रा को मौसम के लिहाज से और सुरक्षित बनाया जा सके।