230 युवाओं को एक साल में आतंकी बनने से रोका, हाइब्रिड दहशतगर्द अब चुनौती नहीं- लेफ्टिनेंट जनरल पांडे
सेना की 15वीं कोर के निवर्तमान जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि वह कश्मीर में हिंसा के चक्र को तोड़ने की फिलॉस्फी के साथ 15 कोर के प्रमुख के रूप में आए थे और काफी हद तक इसमें सफल भी रहे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सेना की 15वीं कोर के निवर्तमान जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि वह कश्मीर में हिंसा के चक्र को तोड़ने की फिलॉस्फी के साथ 15 कोर के प्रमुख के रूप में आए थे और काफी हद तक इसमें सफल भी रहे। साथ ही कहा कि उन्होंने कुछ भी अनोखा नहीं किया। उनके पूर्ववर्तियों ने अतीत में जो किया था, उसे जारी रखा। कहा कि एक साल में 230 युवाओं को आतंक की राह पर चलने से रोका। श्रीनगर के बादामी बाग में सेना के 15 कोर मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए जीओसी पांडे ने कहा कि कश्मीर समस्या की तरह एक गलत शब्दावली का इस्तेमाल किया जा रहा था।
कश्मीर की समस्या को लोगों के सहयोग से काफी हद तक दूर कर पाए हैं
उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि कश्मीर में एक समस्या थी जिसे हम लोगों और समाज के हर वर्ग के साथ मिलकर काफी हद तक दूर कर पाए हैं। आज शांति एक स्थायी विशेषता बनने लगी है। हालांकि कुछ लोग शांतिपूर्ण माहौल से खुश नहीं होंगे और वे इसे बाधित करने के लिए नए-नए तरीके आजमाते रहेंगे, लेकिन ऐसे तत्वों को हराने के लिए हमेशा संयुक्त काउंटर उपाय होंगे।
मेरा उत्तराधिकारी मुझसे अधिक सक्षम होगा
बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे जल्द ही मध्य प्रदेश में आर्मी वॉर कॉलेज के कमांडेंट का पदभार संभालेंगे। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि मेरा उत्तराधिकारी मुझसे अधिक सक्षम होगा। आंतरिक क्षेत्र में राष्ट्रीय राइफल्स हो या एलओसी पर सैनिक, दोनों कश्मीरी समाज के लिए काम करते आए हैं। दोनों ने एक साथ चुनौतियों का सामना किया और सफल हुए।
आतंकियों को समाज अलग-थलग कर रहा
उपलब्धियों पर उन्होंने कहा कि एक तरफ वे मुठभेड़ के दौरान आत्मसमर्पण सुनिश्चित करते हुए आतंकवादियों को मारते रहे और दूसरी तरफ युवाओं को हथियार उठाने से रोकने के प्रयास भी किए गए। पिछले एक साल में लगभग 230 युवा जो या तो उग्रवाद में शामिल हो गए थे या शामिल होने वाले थे, उन्हें शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए वापस लाया गया। सचमुच यही मेरी उपलब्धि है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस को सूचना लोगों से मिल रही
बाकी आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाने की गिनती नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर पुलिस को तकनीकी खुफिया जानकारी (टेक्निकल इंट) से अधिक लोगों द्वारा सूचना प्राप्त होती है। ओवर ग्राउंड वर्कर्स सहित आतंकवादियों को समाज द्वारा खुद अलग-थलग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, मेरा प्रयास था कि कोई मां, बहन या बेटी सिर्फ किसी के हथियार उठाने और मुठभेड़ों में मारे जाने के लिए दर्द में न रोए।
माता-पिता भी बच्चों पर कड़ी नजर रख रहे हैं
जीओसी ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि नौ महीने पहले हाइब्रिड आतंकवादी एक चुनौती थे, लेकिन अब नहीं। उन्होंने कहा, आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त एक सरकारी कर्मचारी, एक दुकानदार या 15 या 16 वर्ष की आयु के छात्र की पहचान करना जल्दी मुश्किल था, लेकिन अब तक समाज इतना जीवंत है और ऐसे लोगों की पहचान पल भर में की जा रही है। माता-पिता भी बच्चों पर कड़ी नजर रख रहे हैं ताकि वे गलत रास्ते पर न चलें।
सीमा पार से होने वाली फायरिंग सेना के लिए चुनौती नहीं
संघर्ष विराम समझौते और इसके लाभों पर उन्होंने कहा कि यह सेना के लिए कभी चुनौती नहीं थी, लेकिन एलओसी के दोनों ओर के लोगों को परेशानी होती थी। उन्होंने कहा, आज सीमा के दोनों ओर के लोग शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं जो एक अच्छा संकेत है। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर चुनौतियों से संबंधित एक सवाल के जवाब में जीओसी ने कहा कि अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की धमकी हमेशा रहेगी, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था और किए गए उपाय हमेशा ऐसी योजनाओं को विफल कर देंगे।
सफलता के लिए करनी पड़ती है कड़ी मेहनत
डीपी पांडे ने पत्रकारों से बात करते हुए सेंड ऑफ टी के दौरान वहां मौजूद अतिथिगणों को अपने आखिरी भाषण में कहा कि आज हम हाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, जहां शांति, स्थिरता, प्रगति, समृद्धि और खुशी के द्वार पहले कभी नहीं खुले। एक लोकप्रिय कहावत है कि सफलता गलियों और पिछवाड़े से आती है, सामने के दरवाजे से नहीं। आज हमारे कश्मीर के लिए यह सच है।
नफरत बोएंगे तो नफरत मिलेगी
उन्होंने कहा कि हम कई लोगों को हर समय कश्मीर समस्या के बारे में बात करते हुए सुनते हैं। मेरा मानना है कि यह कश्मीर समस्या नहीं बल्कि कश्मीर की समस्या है। गलत शब्दावली कश्मीर की भूमि और लोगों को बदनाम करती है। कश्मीर की असलियत आसानी से दिखाई दे जाती है। यह सुंदरता और बहुतायत की भूमि है। जहां आप जो कुछ भी बोते हैं वह बढ़ता है। जो बो दिया वही उग जाता है, शायद पत्थर भी बो दो तो पत्थर निकलेगा।
अगर आप नफरत बोएंगे तो आपको नफरत मिलेगी
इसलिए मैं कश्मीर में विश्वास करता हूं अगर आप नफरत बोएंगे तो आपको नफरत मिलेगी लेकिन अगर आप प्यार, शांति और सद्भाव बोएंगे तो वही मिलेगा। चुनाव करना कश्मीर के लोगों के हाथ में है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथियों ने कई कश्मीरियों को पश्चिम की संस्कृति की नकल करवानी चाही। कश्मीरी को एक वास्तविक प्रगतिशील समाज बनने के लिए अपनी जड़ों को पुन: प्राप्त करने की आवश्यकता है जो बौद्धिक, परोपकारी, आध्यात्मिक थे। निहित स्वार्थों द्वारा बोए जा रहे विदेशी बीजों को अपनाने के बजाय विरासत और परंपराओं में गौरव को पुन: प्राप्त करने की आवश्यकता है।
कश्मीरी महिलाएं आगे बढ़ रहीं
पांडे ने कहा कि नई शुरुआत की एक झलक दिखाई दे रही है। क्षितिज पर आशा है। सुरक्षा मानदंड अच्छे हैं। श्रीनगर और घाटी के कई हिंसा प्रभावित इलाके अब आर्थिक केंद्र के रूप में वापस आ गए हैं। कोविड के बावजूद अर्थव्यवस्था बेहतर दिख रही है, विकास के प्रयास दिखाई दे रहे हैं। जीओसी ने कहा कि खेल, राजनीति, प्रशासन, पत्रकारिता और व्यवसाय उद्यमिता के क्षेत्र में हमारी कश्मीरी महिलाओं की शानदार सफलताएं उस नए सामान्य के स्पष्ट उदाहरण हैं, जिसके लिए समाज खुल रहा है। आज पहली बार घाटी में दो महिला एसएसपी नजर आएंगी।
यह समय भविष्य की पीढ़ियों के लिए खुशी के बीज बोने का है
जीओसी ने कहा कि 90 के दशक की पीढ़ी गलत बीज बोने की अपनी गलतियों को स्वीकार करने से कतराती हैं, वे मेरी पीढ़ी के हैं। वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि यह मुश्किल है और वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आने वाली पीढ़ी हिंसा और नफरत के रास्ते पर अत्याचार और नफरत की कहानी के माध्यम से चले। कुछ ने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपनी सुविधा के अनुसार आख्यान चलाए और बाकी चुप रहे। यह समय भविष्य की पीढ़ियों के लिए सफलता, प्रेम और खुशी के बीज बोने का समय है।