सुचेतगढ़ विस क्षेत्र को बहाल करने की तैयारी, जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग एसोसिएट सदस्यों की ओर से दिए गए सुझाव और आपत्तियों पर चल रहा है मंथन
जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग एसोसिएट सदस्यों की ओर से दिए गए सुझावों व आपत्तियों पर गंभीरतापूर्वक विचार-मंथन कर रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग एसोसिएट सदस्यों की ओर से दिए गए सुझावों व आपत्तियों पर गंभीरतापूर्वक विचार-मंथन कर रहा है। जम्मू की सुचेतगढ़ विधानसभा सीट का अस्तित्व फिर से बहाल हो सकता है। इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति के लिए घोषित नौ सीटों में से एक के आरक्षण में बदलाव हो सकता है। आयोग अगले एक सप्ताह में रिपोर्ट को जनता की आपत्तियों के लिए सार्वजनिक कर सकता है। आयोग को दो महीने का कार्यकाल बढ़ने के बाद छह मई तक अंतिम रिपोर्ट सौंपनी है।
आयोग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एसोसिएट (सांसदों) सदस्यों के सुझाव एवं आपत्तियों पर विचार करते हुए यह पाया गया कि सुचेतगढ़ सीट का अस्तित्व समाप्त किए जाने से व्यापक पैमाने पर लोगों में आक्रोश है। ऐसे में इस सीट को बहाल कर दिया जाए। इस स्थिति में आरएस पुरा के कुछ हिस्से को जम्मू दक्षिण के साथ मिला दिया जाएगा। साथ ही सुचेतगढ़ को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया जा सकता है।
एसोसिएट सदस्यों को सौंपी रिपोर्ट में आयोग ने सुचेतगढ़ सीट को समाप्त करते हुए आरएस पुरा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया था। इस पर व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। भाजपा के डीडीसी सदस्यों समेत शक्ति केंद्र प्रमुखों ने अपने इस्तीफे पार्टी को सौंप दिए।
राजोरी के डुंगी को निकालकर थन्नामंडी में जोड़ दिया गया था। इस पर आपत्ति जताई गई। इसके बाद डुंगी को राजोरी से जोड़ने का लगभग फैसला हो गया है। डुंगी के जुड़ने के बाद थन्नामंडी के बजाय राजोरी विस क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो सकता है। किश्तवाड़, डोडा में कुछ इलाकों के टापू के रूप में विकसित होने पर भी विचार किया गया है। इसका भी हल निकालते हुए आवश्यक संशोधन किया गया है।
आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आम जनता के लिए रिपोर्ट सार्वजनिक करने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। अगले एक सप्ताह में इसे सार्वजनिक कर आपत्तियां मांगी जाएंगी। इसके बाद आपत्तियों का निस्तारण कर अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी।
कश्मीर में बदल सकते हैं कुछ सीटों के नाम
सूत्रों ने बताया कि नेकां के तीनों सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी व मोहम्मद अकबर लोन ने संयुक्त रूप से 13-14 पन्नों की आपत्ति दर्ज कराई है। इसमें आयोग को असांविधानिक बताते हुए मामले के न्यायालय में विचाराधीन होने का हवाला दिया गया है। साथ ही आबादी की अनदेखी का आरोप लगाया गया है। सदस्यों ने कई सीटों के नाम बदलने के प्रस्ताव पर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने पिछले समय में सीटों के नाम का भी हवाला दिया है। सूत्रों ने बताया कि नेकां सदस्यों की आपत्ति पर कुछ सीटों के नाम बदले जा सकते हैं।