जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद विधानसभा चुनावों की तैयारी, करीब 8 चरणों में चुनाव कराने की योजना

जम्मू कश्मीर में श्री अमरनाथ जी यात्रा के बाद इसी साल अंत तक विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में परिस्थितियां अनुकूल रहने पर सितंबर के बाद किसी भी समय चुनाव कराने पर विचार कर रही है।

Update: 2022-02-22 04:25 GMT

जम्मू कश्मीर में श्री अमरनाथ जी यात्रा के बाद इसी साल अंत तक विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में परिस्थितियां अनुकूल रहने पर सितंबर के बाद किसी भी समय चुनाव कराने पर विचार कर रही है। यह चुनाव करीब आठ चरण में कराने की योजना है। अलबत्ता, केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रदेश सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव कब कराने हैं यह तय करना चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है। फिलहाल, जम्मू कश्मीर पुलिस, जम्मू कश्मीर गृह विभाग समेत विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों से चुनावों को लेकर सुऱक्षा प्रबंधों पर राय ली जा रही है।

पांच अगस्त, 2019 को संसद द्वारा पारित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश 31 अक्टूबर, 2019 को अस्तित्व में आया है। जम्मू कश्मीर राज्य में आखिरी बार वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब जून, 2018 में तत्कालीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार भंग हो गई थी और फिर 31 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन रहा। इसके बाद से उपराज्यपाल ही इस केंद्र शासित प्रदेश के शासन की कमान संभाले हैं। भाजपा को छोड़ अन्य सभी राजनीतिक दल जम्मू कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय का प्रयास रहा कि विधानसभा चुनाव जून-जुलाई में करा लिए जाएं, लेकिन फिर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों और सुरक्षा एजेंसियों से इस संबंध में चर्चा की गई। जुलाई तक जम्मू कश्मीर में पर्यटन सीजन होता है। इसके बाद अगस्त में श्री अमरनाथ की वाषिक तीर्थयात्रा रहती है। चुनाव प्रक्रिया से पर्यटन सीजन प्रभावित हो सकता है। साथ ही चुनावी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकी पर्यटकों को भी निशाना बना सकते हैं। इससे पर्यटन सीजन और मतदान दोनों ही प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए चुनाव की प्रक्रिया सितंबर के बाद ही शुरू करने का विचार बनाया जा रहा है। तब तक जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट भी आ सकती है।

सितंबर के बाद सुरक्षा की बड़़ी चिंता रहेगी दूर: अधिकारियों ने बताया कि सितंबर के बाद चुनाव की स्थिति में देश के अन्य भागों से जम्मू कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की अतिरिक्त टुकडिय़ां मंगाने की जरूरत भी कम रह जाएगी क्योंकि श्री अमरनाथ यात्रा के चलते प्रदेश में पहले से ही पर्याप्त संख्या में अद्र्धसैनिक बल तैनात होंगे। चुनाव के समय तक ये अद्र्धसैनिक बल जम्मू कश्मीर की भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों को भी काफी समझ चुके होंगेश्रीनगर के कारपोरेटर नजीर अहमद गिलकर पुलिस के दो 

सुरक्षा एजेंसियों से मांगी गई कार्ययोजना : सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने सभी सुरक्षा एजेंसियों से जम्मू कश्मीर में चुनाव के समय जवानों व अधिकारियों की तैनाती के संदर्भ में एक कार्ययोजना तलब की है। सुरक्षा एजेंसियों से कहा गया है कि वह जम्मू कश्मीर में वर्ष 2002, 2009, 2014 में हुए विधानसभा चुनाव व उसके बाद हुए पंचायत व नगर निकाय चुनावों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्ययोजना का खाका तैयार करें।

मौसम की भी कोई बाधा नहीं : मतदान पर मौसम के असर पर अधिकारियों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पहले भी सर्दी में लोकसभा, विधानसभा और जिला विकास परिषद के चुनाव हुए हैं। इसलिए मौसम कोई बड़ी बाधा नहीं है। जिन इलाकों में हिमपात से रास्ता बंद होने की अधिक आशंका है, वहां पहले चरण में मतदान कराया जा सकता है।

90 विधानसभा सीटों पर होना है चुनाव : जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। इनमें सात नई सीटें भी शामिल हैं, जबकि 83 पहले से ही हैं, लेकिन लगभग सभी क्षेत्रों का स्वरूप परिसमीन आयोग ने बदल दिया हैै। उच्च पदस्थ प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट जमा कर दी है। जल्द ही अंतिम रिपोर्ट भी आ जाएगी। इसके बाद मतदाता सूचियों के संशोधन, समीक्षा व इन्हें अपडेट करने की प्रक्रिया चलेगी। इस प्रक्रिया को दो-तीन माह में निपटाया जाएगा।


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