लोगों ने कश्मीरियों को 'वोट बैंक' की तरह किया इस्तेमाल...बीजेपी पर तंज कसते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कही ये बात

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आज शनिवार को कहा कि

Update: 2021-12-11 12:57 GMT
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने आज शनिवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों का सिर्फ "वोट बैंक" के रूप में इस्तेमाल किया है, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया गया. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ ताकतों ने कश्मीरी पंडितों और मुस्लिम समुदाय को बांटने की कोशिश की.
जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के लोगों का सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया. ढेरों वादे किए गए लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया गया. कश्मीरा पंडितों और कश्मीरी मुसलमानों के बीच समस्याएं पैदा की गईं. हमारे दुश्मन जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कटुता फैलाकर फायदे में रहेंगे.
फारूक अब्दुल्ला ने माफी मांगी
फारूक अब्दुल्ला का बयान जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के बाद आया, जिसके वे अध्यक्ष हैं, कश्मीरी पंडितों के संबंध में तीन प्रस्तावों को पारित किया. राजनीतिक दल के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने प्रस्तावों के माध्यम से कश्मीरी पंडितों के लिए राजनीतिक आरक्षण, कश्मीरी हिंदू मंदिर संरक्षण विधेयक पारित करने और कश्मीरी पंडितों की वापसी तथा पुनर्वास के लिए एक व्यापक पैकेज की मांग की.
इस बीच फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडित समुदाय से 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन के समय उनकी रक्षा करने में सक्षम नहीं होने के लिए माफी भी मांगी. उन्होंने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस के शासन के दौरान, हमने घाटी में पंडित समुदाय की वापसी सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ तत्वों ने पंडितों के नरसंहार को अंजाम देकर पूरी प्रक्रिया को बाधित कर दिया.' अब्दुल्ला ने कहा, 'कश्मीरी पंडितों को पलायन के बाद बहुत नुकसान हुआ है. पंडित समाज के दर्द अनगिनत हैं.'
'हिंदुओं-मुसलमानों को बांटने की कोशिश की'
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'कुछ ताकतों ने कश्मीरी पंडितों और मुस्लिम समुदाय को बांटने की कोशिश की. ये मुसलमान नहीं बल्कि आत्मकेंद्रित लोग थे जिन्होंने पंडितों को कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया. उन्हें लगा कि पंडितों को घाटी से खदेड़ देंगे तो कश्मीर मिल जाएगा. लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि वे अपने नापाक मंसूबों को कभी हासिल नहीं करेंगे. मैं जम्मू के लोगों को कश्मीरी पंडितों को शरण देने के लिए बधाई देता हूं.'
जम्मू-कश्मीर के बुजुर्ग नेता ने कहा कि मुस्लिम और हिंदू समुदायों को अब "अंतर को पाटने और नफरत को प्यार से बदलने की कोशिश करनी चाहिए". 'हम सभी को अपने दिमाग को साफ करना होगा और जम्मू-कश्मीर को बचाने की कोशिश करनी होगी. हमें किसी को भी राजनीतिक फायदे के लिए हमारा इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए.'
केंद्र सरकार के बारे में बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'पहले किसानों का विधेयक पारित किया गया और फिर नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए इसे वापस ले लिया.' उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार ने महिलाओं के लिए आरक्षण का विधेयक क्यों नहीं पेश किया. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से कोई प्यार नहीं है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन प्रस्ताव पास किए
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने आज शनिवार को तीन प्रस्ताव पारित किए, जिनमें घाटी में प्रवासी कश्मीरी पंडितों की वापसी तथा पुनर्वास और उनके राजनीतिक सशक्तिकरण समेत कई आह्वान किए गए हैं. ये प्रस्ताव यहां पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में एक दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत में पेश किए गए. इनमें समुदाय के मंदिरों और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए एक विधेयक पारित करने की भी मांग की गई है.
ध्वनि मत से पारित 'राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण' इन प्रस्तावों को प्रस्तुत करते समय वरिष्ठ नेता अनिल धर ने कहा, 'प्रवासी कश्मीरी पंडित समुदाय पिछले तीन दशकों से अपनी सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए तरस रहा है. यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है.' उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ही एकमात्र पार्टी है जो घाटी में पंडितों की वापसी और पुनर्वास सुनिश्चित कर सकती है.
उन्होंने यह भी कहा, 'पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला को भारत सरकार का मार्गदर्शन करना चाहिए, जो आज तक इस दिशा में कोई प्रगति करने में विफल रही है. हमारे पास रोडमैप है और हम इसे केंद्र के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं.'
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