भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपनी किस्मत खुद लिखना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने बुलेट के बजाय बैलेट को चुना है।मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने हाल ही में चुनाव तैयारियों का जायजा लेने के लिए जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था।
कुमार ने कहा, "लोगों में काफी उत्साह देखा गया। वे चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना चाहते थे..." उन्होंने कहा, "लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में मतदान केंद्रों पर लगी लंबी कतारें इस बात का सबूत हैं कि लोग न केवल बदलाव चाहते हैं, बल्कि उस बदलाव का हिस्सा बनकर अपनी आवाज भी बुलंद करना चाहते हैं। उम्मीद और लोकतंत्र की यह झलक दिखाती है कि लोग तस्वीर बदलना चाहते हैं। वे अपनी किस्मत खुद लिखना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकसभा चुनाव में बुलेट के बजाय बैलेट को चुना..."
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के दौरान लोग चुनाव में हिस्सा लेने के लिए वहां मौजूद थे। लंबी कतारें और उनके चेहरों पर चमक इस बात का सबूत थी...पूरे चुनाव में राजनीतिक भागीदारी खूब रही..."
सीईसी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान, "जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र के आह्वान पर असाधारण प्रतिक्रिया देखने को मिली, जहां तीन दशक में सबसे ज्यादा 58.58 प्रतिशत मतदान हुआ...सबसे ज्यादा उत्साहजनक दृश्य युवा, बुजुर्ग और महिला मतदाताओं की लंबी कतारों का था, जो अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे थे।"
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश दिया था। यह निर्देश जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत के फैसले का हिस्सा था। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा और केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 74 सामान्य, सात अनुसूचित जाति और नौ अनुसूचित जनजाति के हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 87.09 लाख है, जिनमें से 44.46 लाख पुरुष, 42.62 लाख महिलाएं, 3.71 लाख पहली बार मतदाता और 20.7 लाख युवा मतदाता हैं।