मनमोहन कुमार : रामबन पुलिस अधीक्षक को मामले की दोबारा जांच करने भीके आदेश दिए
जांच पूरी करने को कहा।
जम्मू कश्मीर | बता दें कि 17 राष्ट्रीय राइफल्स के सिपाही युवराज उत्तम राव 19 मई, 2006 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगते बनिहाल में एक शिविर के अंदर संतरी चौकी में मृत पाए गए थे। उनकी छाती पर कई गोलियां लगी थीं।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि पुलिस जांच में विसंगतियां हैं, क्योंकि एक तरफ जांच अधिकारी कहता है कि कुछ अज्ञात कर्मियों ने उसकी हत्या की। दूसरी तरफ कहता है कि यह अज्ञात आतंकियाें का कृत्य है। जांच अधिकारी के पास इसका कोई सबूत भी नहीं है। गोलियां संतरी पोस्ट के भीतर से चलाई गईं न कि बाहर से। न ही उस रात सैन्य कैंप के अंदर हमला होने का कोई सबूत है।
उन्होंने कहा कि मामले की जांच करीब 17 साल तक अधूरी रही। जांच एजेंसी ने देखा कि कैंप के अंदर से किसी ने अपराध किया था, लेकिन वे आरोपी का पता लगाने में नाकाम रही। अपराधियों की पहचान के बिना मामले की जांच अंत तक पहुंच गई है। जेएनएफआईओ का यह बहाना कि अभियुक्तों का पता लगाना या उनकी पहचान करना संभव नहीं है। पुलिस की लापरवाही और संवेदनहीनता इस तथ्य से परिलक्षित होती है कि वे एक शिविर की चारदीवारी के भीतर अभियुक्तों की पहचान करने में सक्षम नहीं है। जिस तरह से पुलिस उचित कार्रवाई करने में विफल रही, उससे अदालत असंतुष्ट है। यह भी आश्चर्यजनक है कि क्लोजर रिपोर्ट 2016 में तैयार की गई थी, लेकिन जांच पूरी होने के बाद छह साल तक बनिहाल पुलिस स्टेशन में रखी गई, जिसे 2021 में पेश किया। इस मामले की जांच पहले से ही बहुत वक्त ले चुकी है, लिहाजा अब इसकी जांच तेजी से हो।