जम्मू-कश्मी: बालाकोट एयर स्ट्राइक में तबाह जैश का प्रशिक्षण शिविर फिर से शुरू
पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए भारत के बालाकोट एयर स्ट्राइक में तबाह जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण शिविर दोबारा आबाद हो गया है।
पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए भारत के बालाकोट एयर स्ट्राइक में तबाह जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण शिविर दोबारा आबाद हो गया है। यह कैंप मदरसे की आड़ में चल रहा था, जो हमले में पूरी तरह तहस नहस हो गया था। फिर से मदरसे का निर्माण कर लिया गया है। तीन-चार महीने से यहां दोबारा जैश आतंकियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना शुरू कर दिया गया है।
जैश सरगना अजहर मसूद की निगरानी में ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण चल रहा है। ऐसे इनपुट हैं कि समय-समय पर मसूद इस कैंप का दौरा भी कर रहा है। ज्ञात हो कि 14 फरवरी को पुलवामा के लेथपोरा में जैश के आत्मघाती आतंकी के सीआरपीएफ काफिले पर हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद भारत ने ऑपरेशन बंदर के नाम से बालाकोट एयर स्ट्राइक कर जैश के कैंप को तबाह कर दिया था।
खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बालाकोट में तबाह मदरसे का निर्माण कार्य पूरा करने के बाद नवंबर-दिसंबर 2021 से ट्रेनिंग कैंप दोबारा शुरू कर दिया गया है। यहां काफी संख्या में युवाओं को हथियार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे किसी भी स्थितियों में अपने टारगेट को पूरा कर सकें।
सूत्रों के अनुसार बालाकोट के अलावा जम्मू-कश्मीर की सीमा से लगते कोटली, मीरपुर, फारवर्ड कोटा व भिंबर में भी अलग-अलग आतंकी संगठनों के ट्रेनिंग कैंप सक्रिय हैं। मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-ताइबा के आतंकियों को प्रशिक्षित किए जाने के इनपुट हैं।
कश्मीर से पलांवाला तक लॉंचिंग पैड सक्रिय
सूत्रों ने बताया कि कश्मीर से लेकर जम्मू के पलांवाला तक एलओसी पार लॉचिंग पैड सक्रिय हैं। आतंकियों को तैयार रखा गया है। बर्फ के हटने का इंतजार किया जा रहा है। पुंछ में सोमवार को सीमा पार से आग भी लगाई गई थी ताकि बर्फ पिघल जाए और घुसपैठ का रास्ता तैयार हो जाए।
अब सेना के पोस्ट में घुसपैठियों के रुकने का इनपुट
सूत्रों के अनुसार प्रशिक्षित आतंकियों के अब सेना के पोस्ट में रुकने का इनपुट मिलर है। बताया जा रहा है कि पोस्ट पर इनकी गतिविधियों का पता नहीं लग सके, इस वजह से नई रणनीति तैयार की गई है। पहले आतंकियों को एलओसी के करीब के गांवों में एजेंट के घरों पर ठहराया जाता था। आईएसआई की देखरेख में गाइड व लॉंचिंग कमांडर भी घुसपैठियों को इस पार धकेलने की प्रक्रिया में लगे होते हैं। गाइड के रास्ता साफ होने का इशारा करने के बाद कमांडर की ओर से प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है।