जम्मू-कश्मीर: परिसीमन से बीजेपी की उम्मीदें बढ़ीं, समझे पूरा गणित

Update: 2022-05-09 04:30 GMT

श्रीनगर: हाल ही में जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपी जिससे यहां चुनाव का रास्ता लगभग साफ हो गया है। आयोग ने एकसमान जनसंख्या अनुपात बनाए रखने के लिए जम्मू क्षेत्र की अधिकांश विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया है और निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 37 से बढ़ाकर 43 कर दी है।

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग द्वारा प्रस्तावित नए सीट वितरण ने भाजपा को राज्य में सरकार बनाने की उम्मीद दी है। भले ही अभी चुनावी तारीखों की घोषणा नहीं हुई है लेकिन पार्टी ने जम्मू क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए पहले से ही चुनाव की तैयारी कर दी है। बता दें कि आयोग ने जम्मू में 43 सीटों और घाटी क्षेत्र में 47 सीटों के साथ 90 सीटों का प्रस्ताव रखा है। पिछले चुनाव में बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र की 37 में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी।
आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू में मौजूदा नौ को हटाते हुए 15 नए निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए हैं। जम्मू में कुल सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 हो गई है। जम्मू-कश्मीर के बीजेपी सह-प्रभारी आशीष सूद ने इकनॉमिक्स टाइम्स को बताया, "हम जम्मू क्षेत्र में 35 से 38 सीटें जीतने के लिए काम कर रहे हैं और घाटी (कश्मीर) में भी कुछ सीटें जीत सकते हैं।" अपनी तैयारियों को पुख्ता करने के वास्ते पार्टी 15 और 21 मई को जम्मू क्षेत्र के दो लोकसभा क्षेत्रों में बूथ कार्यकर्ताओं की दो बैठकें आयोजित करेगी।
भाजपा राज्य में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचने और ऐसे लाभार्थियों की रैली निकालने पर भी काम कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में पीएम किसान से चार लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं। भाजपा नेता ने बताया कि चार जिलों में शत-प्रतिशत पाइप से पानी का कनेक्शन है और आगे का काम चल रहा है। अन्य योजनाओं से भी लोगों को लाभ मिल रहा है।
आयोग ने राज्य में पहली बार एसटी आरक्षित नौ सीटों का प्रस्ताव रखा है और भाजपा को लगता है कि इससे पार्टी को मदद मिलने वाली है। दरअसल जम्मू क्षेत्र के कुछ जिलों में गूजर बकरवाल आदिवासी आबादी अधिक है। भाजपा का मानना है कि इस आबादी को उसका हक नहीं मिला। जम्मू में एसटी की पांच सीटें पड़ने से इन जनजातियों को सत्ता में सीधी भागीदारी मिलेगी। बीजेपी को उम्मीद है कि कश्मीर घाटी की उन चार एसटी सीटों पर भी उसे फायदा होगा जहां ये जनजातियां बड़ी संख्या में हैं।
कश्मीर घाटी में भाजपा द्वारा अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश एक बड़ा कदम हो सकती है। 2020 के अंत में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा ने कश्मीर घाटी में जिला विकास परिषद की तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के यह पहला चुनाव था।
भाजपा को लगता है कि आदिवासियों के अलावा इस क्षेत्र में पहाड़ी कहे जाने वाले स्थानीय समुदाय का भी उसे समर्थन मिलेगा। पहाड़ियों को फिलहाल 4% आरक्षण है। बता दें कि गवर्नर (एलजी) के तहत राज्य सरकार ने विभिन्न समुदायों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की जांच के लिए जीडी शर्मा समिति का गठन किया था। समिति ने पिछले साल अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। अगर सरकार रिपोर्ट को मान लेती है तो वह पहाडि़यों के लिए आरक्षण बढ़ा देगी। पार्टी को लगता है कि इससे राज्य में लोगों का विश्वास जीतने में मदद मिलेगी।
परिसीमन आयोग ने जम्मू में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों को क्रमशः सात और पांच सीटें आरक्षित करके बड़ा प्रतिनिधित्व दिया है। नई सीटें छह जिलों- डोडा, किश्तवाड़, सांबा, राजौरी, कठुआ और उधमपुर से बनाई गई हैं। इसके साथ ही डोडा, किश्तवाड़ और सांबा में अब तीन-तीन सीटें, उधमपुर में चार, राजौरी में पांच और कठुआ की छह सीटें हो जाएंगी।
किश्तवाड़ जिले को एक विधानसभा सीट पद्देर नागसेनी मिली है। डोडा जिले की नयी सीट डोडा पश्चिम है। जसरोटा कठुआ में नयी सीट है, उधमपुर में रामनगर और सांबा में रामगढ़ नई सीट है। आयोग ने जनता के आक्रोश को देखते हुए जम्मू जिले के सुचेतगढ़ निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा है।
आयोग ने पांच सीटें - राजौरी, थानामंडी (राजौरी जिला), सुरनकोट, मेंढर (दोनों पुंछ जिला) और गुलबगढ़ (रियासी) - अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित की हैं, सात सीटें - रामनगर (उधमपुर), कठुआ, रामगढ़ (सांबा), बिश्नाह, सुचेतगढ़, माढ़ और अखनूर (सभी जम्मू) - को अनुसूचित जाति समुदाय के लिए आरक्षित किया गया है।
साभार: लाइव हिंदुस्तान
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