कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने चुनाव स्थगित कर दिए थे। जम्मू कश्मीर में कुल बीस जिले है और चुनाव के लिए संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नर चुनाव की अधिसूचना जारी करते हैं। गुरुद्वारा कमेटियों का पांच साल का कार्यकाल 12 जुलाई 2020 को समाप्त हो गया था। उसके बाद सरकार ने कार्यकाल तीन महीने बढ़ाया था।
बाद में सरकार ने तीन महीने में चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के आदेश दिए थे लेकिन जिला विकास परिषद के चुनाव होने से जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव की प्रक्रिया को टाल दिया गया। उसके बाद कोरोना से हालात खराब हो गए। ऑल पार्टीज सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि हमने चुनाव नया गुरुद्वारा कानून बनाकर करवाने का मुद्दा उपराज्यपाल के समक्ष उठाया था। अभी तक इस सिलसिले में कुछ नहीं हुआ है। जल्द ही कानून एवं न्याय और वित्तीय आयुक्त राजस्व से मिलकर बात करेंगे। पहले ही चुनाव काफी लेट हो चुके है।नेशनल सिख फ्रन्ट के चेयरमैन वीरेंद्र जीत सिंह का कहना है कि जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव अब करवा देने चाहिए। अब कोरोना से हालात सामान्य हो चुके है। एक्ट में संशोधन करके एक्ट को ज्यादा प्रभावी बनाया जाना चाहिए। कानून काफी पुराना हो चुका है।
कैसे होते हैं चुनाव
हर जिला के डिप्टी कमिश्नर पर जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव करवाने का जिम्मा होता है।डिप्टी कमिश्नर चुनाव का शेडयूल जारी करते है। इसमें नामांकन पत्र भरने, नाम वापिस लेने समेत चुनाव की तिथि से लेकर परिणाम तक का सारा शेडयूल तय किया जाता है। चुनाव गुरुद्वारा एक्ट 1973 के तहत करवाए जाते है। कमेटियों का काम जम्मू कश्मीर के गुरुद्वारों की देखभाल, संचालन करना होता है। हर जिला में ग्यारह सदस्य चुन कर आते है। ग्यारह सदस्य में से बहुमत के साथ कमेटी का प्रधान चुना जाता है। प्रधान के बाद उप प्रधान, महासचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष चुना जाता है। अगर ग्यारह सदस्यों में से छह सदस्य विरोध कर दें तो अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है।सभी जिला कमेटियों के चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर गुरुद्वारा प्रबंधक बोर्ड का चुनाव होता है। इसमें प्रधान, दो उप प्रधान, महासचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष चुने जाते है। कमेटियों के चुने हुए बोर्ड के लिए मतदान करते हैं। इसमें आठ सदस्य जम्मू संभाग और सात सदस्य कश्मीर संभाग से चुने जाते है।
चुनाव में इस बार मुद्दे
सिख समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अधीन जम्मू कश्मीर को लाना
पंजाबी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा देना
गुलाम कश्मीर के रिफ्यृजियों का पुनर्वास करना
सिख समुदाय के लिए विधानसभा में सीटें आरक्षित करना
नौकरियों में आरक्षण देना
उच्च न्यायालय, संवैधानिक संस्थानों में समुदाय को प्रतिनिधित्व देना
बदले हुए हैं हालात
जम्मू कश्मीर गुरुद्वारा प्रबंधक बोर्ड के प्रधान टीएस वजीर की कुछ समय पहले दिल्ली में हत्या हो गई थी। मामले की जांच चल रही है। स्वर्गीय वजीर की जम्मू कश्मीर की सिख राजनीति में अहम भूमिका हुआ करती थी। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पहली बार चुनाव होंगे।