पांच राज्यों के साथ ही कश्मीर में भी चुनाव की आहट

सियासी गहमागहमी शुरू

Update: 2023-05-29 13:51 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती घाटी के प्रसिद्ध खीर भवानी मंदिर में जाकर माथा टेक आई हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के मुखिया गुलाम नबी आजाद रैलियां शुरू कर चुके हैं। इन रैलियों में वह धारा 370 हटाने से पहले के कश्मीर की मांग करने लगे हैं। कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी कश्मीर में चुनाव कराने के साथ पाकिस्तान से बात करने का विवादित बयान भी देने लगे हैं। सियासी जानकार भी मानते हैं कि घाटी में जी 20 की हुई सफल बैठक के बाद चुनाव की तारीखों का एलान किया जा सकता है। संभव है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही कश्मीर में भी चुनाव करा दिया जाए।

जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल बनने लगा है। बीते कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के मुखिया गुलाम नबी आजाद घाटी के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर सियासी रैलियां और जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं। गुलाम नबी आजाद की पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद शहजाद कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में तो अब परिसीमन भी हो गया है। ऐसे में घाटी की राजनीतिक पार्टियों को किसी भी वक्त चुनाव के लिए तो तैयार रहना ही पड़ेगा। गुलाम नबी आजाद की पार्टी ने रविवार को घाटी में बैठक कर अपने चुनावी एजेंडे के साथ आगे की रणनीति पर काम भी करने का एलान कर दिया है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनकी पार्टी घाटी में 370 हटाने से पहले वाले कश्मीर की वकालत कर रही है। इसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी ने डोर टू डोर कैंपेन का भी पूरा प्लान तैयार कर लिया है।

सिर्फ गुलाम नबी आजाद ही नहीं, बल्कि पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी घाटी में सियासी माहौल बनाना शुरू कर दिया है। महबूबा मुफ्ती रविवार को घाटी के प्रमुख खीर भवानी मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी पर दर्शन करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने घाटी के इस मंदिर में हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कहते हुए सियासी माहौल को भी आगे बढ़ाया। खीर भवानी मंदिर से जुड़े नरेंद्र रैना बताते हैं कि महबूबा मुफ्ती ने रविवार को मंदिर में आकर दर्शन किए। राजनीतिक विश्लेषक एसएन कौल कहते हैं कि बीते कुछ दिनों से घाटी में जिस तरीके की सियासी हलचल बढ़ी है उससे ऐसा महसूस हो रहा है कि चुनाव कभी भी कराए जा सकते हैं। उनका मानना है कि घाटी में जिस तरीके से केंद्र सरकार ने जी 20 के सफल आयोजन को कराया है उसका भी घाटी में सियासी तौर पर बड़ा फायदा मिल सकता है। इसलिए इस नजरिए से भी कश्मीर की सियासी पार्टियां खुद को चुनाव के लिए मजबूत और तैयार कर रही हैं।

घाटी में सियासी माहौल की आंच को इस तरह से भी मापा जा सकता है कि गुलाम नबी आजाद अब खुलकर अपने एजेंडे के साथ आगे बढ़ने लगे हैं। एक कार्यक्रम के बाद गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि वह घाटी में पुराना कश्मीर ही चाहते हैं। उनका कहना है कि वह नहीं चाहते हैं कि घाटी में कोई बाहर से आकर जमीन खरीदे। गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि घाटी का अपना कानून हो और अपनी व्यवस्था के मुताबिक ही कश्मीर के लोगों की पुरानी व्यवस्थाएं जारी की जाएं। धारा 370 को हटाए जाने की मांग करते हुए लोगों से एक साथ जुड़ने की अपील की। गुलाम नबी आजाद की अचानक इस तरीके की शुरू हुई तेज बयानबाजी को लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

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