मोदी सरकार के एक फैसले से जम्मू कश्मीर में हुई 200 करोड़ की बचत, मुख्य सचिव अरुण कुमार ने दी जानकारी
जम्मू और कश्मीर (jammu kashmir) प्रशासन के दरबार मूव के लंबे समय से चले आ रहे.
श्रीनगर. जम्मू और कश्मीर (jammu kashmir) प्रशासन के दरबार मूव के लंबे समय से चले आ रहे. रिवाज को खत्म करने के फैसले से न केवल 200 करोड़ रुपए की बचत हुई है, वहीं फाइलों के निपटान की दर में बढ़ोतरी और उनकी ट्रैकिंग आसान हो गई है. इससे शासन सरल और आसान हो गया है. केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव अरुण मेहता ने यह जानकारी दी है. मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता ने बताया कि दरबार मूव की शुरुआत जम्मू के तत्कालीन डोगरा शासकों ने की थी. दरबार मूव एक 149 साल पुराना द्विवार्षिक कार्यक्रम था.
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी भौतिक फाइलों के साथ जम्मू से श्रीनगर या दूसरी तरफ जाने की जरूरत नहीं है. हमारी सभी फाइलें ई-मोड में हैं. केवल कुछ संवेदनशील रिकॉर्ड को छोड़कर, जो कि मुख्य रूप से सुरक्षा मामलों से संबंधित हैं. मेहता ने कहा कि यहां फाइलों की निपटान दर अब 97 प्रतिशत है, जो डिजिटल मोड में आई बेहतर दक्षता का प्रमाण है. यह जानकारी केंद्र शासित प्रदेश द्वारा हाल ही में किए गए एक अभ्यास से जाहिर हुई है.
शासन दक्षता कई गुना बढ़ गई
उन्होंने कहा कि इन ई-फाइलों ने आपको आधुनिक लीग में डाल दिया है और इसने शासन में बहुत बड़ा बदलाव किया है. पहले, जब दरबार प्रक्रिया थी तो दो महीने खराब हो जाते थे. लेकिन अब नई व्यवस्था से हम करीब 200 करोड़ रुपये बचा रहे हैं, शासन दक्षता कई गुना बढ़ गई है. पहले हर साल, फाइलों को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना पड़ता था और इस प्रक्रिया में कई फाइलें गुम हो जाती थीं. लेकिन नई व्यवस्था में किसी भी फाइल को तुरंत तलाश सकते हैं. जम्मू-कश्मीर में लागू किए जा रहे अन्य शासन सुधारों के बारे में मेहता ने कहा कि बजट अनुमान, आवंटन और निगरानी प्रणाली (बीईएएमएस) नामक एक संसाधन आवंटन प्रणाली लागू की गई है जो बड़ा गेम चेंजर साबित हुई है, इसके साथ वह पारदर्शिता लाती है.